Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03 Author(s): Osho Publisher: Unknown View full book textPage 8
________________ दृश्य जो कि प्राकृतिक तत्वों से और इंद्रियों से संघटित होता है उसका स्वभाव होता है-प्रकाश ( थिरता), सक्रियता और निष्कियता। और द्रष्टा को अनुभव उपलब्ध हो तथा अंतत: मुक्ति फलित हो इस हेतु वह होता है। पहली बात जो समझने जैसी है वह यह है कि यह संसार इसलिए है ताकि तुम्हें मुक्ति फलित हो सके। बहुत बार यह प्रश्न उठा है तुम में. 'यह संसार क्यों है? इतनी ज्यादा पीड़ा क्यों है? यह सब किसलिए है? इसका प्रयोजन क्या है?' बहुत से लोग मेरे पास आते हैं और वे कहते हैं, 'यह मूलभूत प्रश्न है कि हम आखिर है ही क्यों? और अगर जीवन इतनी पीड़ा से भरा है, तो प्रयोजन क्या है इसका? यदि परमात्मा है, तो वह इस सारी की सारी अराजकता को मिटा क्यों नहीं देता? क्यों नहीं वह मिटा देता इस सारे दुख भरे जीवन को, इस नरक को? क्यों वह लोगों को विवश किए चला जाता है इस में जीने के लिए? योग के पास उत्तर है। पतंजलि कहते हैं, 'द्रष्टा को अनुभव उपलब्ध हो तथा अंततः मुक्ति फलित हो, इस हेतु यह होता है।' यह एक प्रशिक्षण है? पीड़ा एक प्रशिक्षण है, क्योंकि बिना पीड़ा के परिपक्व होने की कोई संभावना नहीं। यह आग है, सोने को शुद्ध होने के लिए इसमें से गुजरना ही होगा। यदि सोना कहे, क्यों? तो सोना अशुद्ध और मूल्यहीन ही बना रहता है। केवल आग से गुजरने पर ही वह सब जल जाता है जो कि सोना नहीं होता और केवल शुद्धतम स्वर्ण बच रहता है। मुक्ति का कुल मतलब इतना ही है : एक परिपक्वता, इतना चरम विकास कि केवल शुद्धता, केवल निर्दोषता ही बचती है, और वह सब जो कि व्यर्थ था, जल जाता है। इसे जानने का कोई और उपाय नहीं है। कोई और उपाय हो भी नहीं सकता इसे जानने का। यदि तम जानना चाहते हो कि तृप्ति क्या है, तो तुम्हें भूख को जानना ही होगा। यदि तुम बचना चाहते हो भूख से, तो तुम तृप्ति से भी बच जाओगे। यदि तुम जानना चाहते हो कि गहन तृप्ति क्या होती है, तो तुम्हें जानना होगा प्यास को, गहन प्यास को। यदि तुम कहते हो, 'मैं नहीं चाहता मुझे प्यास लगे', तो तुम प्यास के बुझने की, उस गहन तृप्ति की सुंदर घड़ी को चूक जाओगे। यदि तुम जानना चाहते हो कि प्रकाश क्या है, तो तुम्हें गुजरना ही पड़ेगा अंधेरी रात से। अंधेरी रात तुम्हें तैयार करती है जानने के लिए कि प्रकाश क्या है। यदि तुम जानना चाहते हो कि जीवन क्या है, तो तुम्हें गुजरना होगा मृत्यु से। मृत्यु तुम में जीवन को जानने की संवेदनशीलता निर्मित करती है।Page Navigation
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