Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 03 Author(s): Osho Publisher: Unknown View full book textPage 7
________________ कम उसे एक झलक तो मिलती है। बस वह उस झलक के गीत गाता है। उसके हृदय में सतत एक टीस बनी रहती है उस आंतरिक झलक के लिए जिसे उसने एक बार देखा है। वह फिर-फिर उसी के गीत गाता है, लेकिन अब यह उसका अनुभव नहीं है। यह अतीत की बा_त हो गई-एक स्मृति, एक स्मरण, कोई वास्तविकता नहीं। 'ऋषि' वह कवि है जिसका स्वागत हुआ है मेहमान की भांति। ऋषि शब्द का अर्थ है द्रष्टा, और कवि शब्द का भी अर्थ है द्रष्टा। उन दोनों का ही अर्थ होता है : वह जिसने कि देख लिया। तो भेद क्या है? भेद यह है कि ऋषि ने उसे अर्जित किया होता है। वह दिन के प्रकाश में प्रविष्ट हुआ घर में, वह सामने के दरवाजे से प्रविष्ट हुआ। वह कोई अनिमंत्रित मेहमान नहीं है; वह किसी दूसरे के घर में अनधिकार प्रवेश नहीं कर रहा है। वह निमंत्रित है। मालिक ने उसका स्वागत किया। वह भी गीत गाता है, लेकिन उसका गीत पूरी तरह से अलग होता है साधारण कवि से। उपनिषद ऐसे ही गीत हैं, वेद ऐसे ही गीत हैं-वें आए हैं ऋषियों के हृदयों से। वे कोई साधारण कवि न थे, वे असाधारण कवि थे। असाधारण इस अर्थ में कि उन्होंने अर्जित किया था उस झलक को; वह कोई चुराई हुई चीज न थी। लेकिन ऐसा केवल तभी संभव होता है जब तुम सीख लेते हो कि पूरे प्राणों से सहभागी कैसे होना है-यही है योग। योग का अर्थ है सम्मिलन; योग का अर्थ है विवाह; योग का अर्थ है जोड़। योग का अर्थ है : फिर से निकट कैसे आना, पृथकता को कैसे मिटा देना, सारी सीमाओं को कैसे विलीन कर देना, उस अवस्था तक कैसे आ जाना जहां ज्ञाता और ज्ञेय एक हो जाएं। यही है योग की खोज। इन थोड़े से दशकों में विज्ञान और- और सजग हआ है कि सारा ज्ञान व्यक्तिगत होता है। योग कहता है कि ज्ञान मात्र व्यक्तिगत होता है और जितना ज्यादा व्यक्तिगत होता है, उतना बेहतर होता है। तुम्हें उससे एकात्म हो जाना होगा : तुम्हें फूल हो जाना होगा; तुम्हें चट्टान हो जाना होगा; तुम्हें चांद हो जाना होगा; तुम्हें सागर, रेत हो जाना होगा। तुम जहां कहीं देखो, तुम्हें विषय और विषयी दोनों हो जाना होगा। तुम्हें सम्मिलित होना होगा। तुम्हें सहभागी होना होगा। केवल तभी जीवन स्पंदित होता है, जीवन अपनी लय के साथ स्पंदित होता है। तब तुम उस पर कुछ आरोपित नहीं कर रहे होते। विज्ञान आक्रमण है, कविता चोरी है और धर्म सहभागिता है। अब हम पतंजलि के इन सूत्रों को समझने की कोशिश करें।Page Navigation
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