Book Title: Parishah Jayi Author(s): Shekharchandra Jain Publisher: Kunthusagar Graphics Centre View full book textPage 4
________________ परीषह-जयी * ( आशीर्वाद डॉ. शेखरचन्द्र जैन मूर्धन्य विद्वान एवं उच्च कोटि के लेखक हैं । उन्होंने जैन साहित्य की प्रायः सभी विद्याओं पर कलम चलाई है । उनके प्रवचनों , समीक्षा, ध्यान की पुस्तकें लोकप्रिय हुई हैं । 'मृत्युजंयी केवलीराम'उपन्यास द्वारा पद्म पुराण को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रसंशनीय कार्य किया है। महान जैन सतियों और उपसर्गविजता मुनियों की कथा नई एवं सरल शैली में प्रस्तुत कर उन्होंने नई पीढ़ी को धर्म के प्रति आस्थावान बनाने का उत्तम कार्य किया है। 'तीर्थंकरवाणी' के माध्यम से वे धर्म-समाज की सेवा कर ही रहे हैं । यह 'परीषहजयी' कृति अवश्य लोगों को सच्चे मुनियों के प्रति श्रद्धावान बनायेगी एवं देव-शास्त्र-गुरु के प्रति आस्था-विश्वास उत्पन्न करेगी । आज एकान्तवादियों द्वारा मुनियों को द्रव्यलिंगी कहकर जो भर्त्सना की जा रही है, उनके लिए मुनियों का दृढ़ चरित्र-आलेखन योग्य प्रत्युत्तर है । मैं इस कृति पर डॉ. जैन को आशीर्वाद देता हूँ । वे सत्साहित्य लेखन में निरंतर प्रगति करते रहें, यही शुभ कामना व्यक्त करता हूँ । गणधराचार्य कुन्थुसागर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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