Book Title: Panchsutra Stabak Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 7
________________ डिसेम्बर २००७ ति । होउ मे एएहि संजोगो । पत्तेसु एएसु अहं सेवारिहे सिया आणारिहे सिया पडिवत्तिजुत्ते सिआ निरइआरपारगे सिआ । ए हवणां वर्ण्यमान सुष्टुं प्रार्थना हो मुझनें, ए क्रियानें विषें बहुमान हो मुझनें, ए भाव मोक्षनुं बीज हो मुझनें, ए सम्यग् - सारी गर्हा हो मुझनें, अकरणनो नियम बहुमत छें मुझनें ए तत्त्व इति । इच्छं छं अनुशिष्टि प्रति अरहंतोनी भगवंतोनी, गुरुओनी कल्याणमित्र साधक समूहनें । ए भावें माहरई ए अर्हतादिको साधे संयोग पुण्ययोगें पामें छतें ए अरिहंतादिक[नी हुं सेवामां प्रवर्त्तवा योग्य थाओ, अरिहंतादिकोनी आज्ञानें योग्य थाओ, प्रतिपत्ति- सेवारूप तेणें योग्य थाओ, निरतिचारपारगामी धर्ममां थाओ । ७ संविग्गो जहासत्तीए सेवेमि सुकडं । अणुमोएमि सव्वेसिं अरहंताणं अणुद्वाणं सव्वेसिं सिद्धाणं सिद्धभावं सव्वेसि आयरिआणं आयारं सव्वेसि उवज्झायाणं सुत्तप्पयाणं सव्वेसि साहूणं साहुकिरिअं सव्वेसिं सावगाणं मुक्खसाहृणजोगे सव्वेसि देवाणं सव्वेसिं जीवाणं होउकामाणं कल्लाणासयाणं मग्गसाहणजोगे । संविग्न एहवौ यथाशक्ति सेवं सुकृत प्रति । अनुमोदुं समस्त अरिहंतोनुं अनुष्टान प्रति, सर्वसिद्धा (द्धो ) ना सिद्धभाव प्रतिं, समस्त आचार्योना आचार प्रति, समस्त उपाध्यायोना सूत्रप्रदांन प्रति, समस्त साधुओनी साधु एहवी क्रिया प्रति । समस्त श्रावकोना मोक्षसाधन योगोनें अनुमोदुं छु, सर्व देवोना, समस्त जीवोनां, सिद्धभाव थवानो काम छें जेहोंनें एहवा, कल्याणरूप छें परिणाम जेहोनां एहवा जीवोनां, मोक्षमार्गना साधनार एहवा ज्ञानादि योग प्रति । होउ मे एसा अणुमोअणा सम्मं विहिपुव्विआ सम्मं सुद्धासया सम्मं पडिवत्तिरूवा सम्मं निरईयारा परमगुणजुत्तअरिहंताइसामत्थओ | थाओ मुझनें ए अनुमोदना सम्यग् विधिपूर्विका, ए अनुमोदना सम्यक्सारी जे अनुमोदना करतां शुद्ध छे आशय जेहमां एहवी अनुमोदना हो, सम्यक् समीचीन प्रतिपत्तिरूप प्रतिपत्तिभावनी अनुकूलतायें अंगीकरणरूप सम्यक्- निरतिचारा अतिचार रहित एहवी अनुमोदना हो । उत्कृष्ट गुण सहित अरिहंतादिक गुणनिधान उत्तम हेतु, तेहोना सामर्थ्य थकी । अर्चितसत्तिजुत्ता हि ते भगवंतो वीअरागा सव्वणू परमकल्लाणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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