Book Title: Panchsutra Stabak
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 29
________________ डिसेम्बर २००७ पर्यायइं, एटला कालनी प्रव्रज्यायें अतिक्रमई सर्व देवनी सामान्य शुभ प्रभावरूप तेजोलेश्या प्रति, इंम कहें छई भगवान महावीर । "तत: नामाभिन्नवृत्तः अमत्सरी कृतज्ञः सदारंभी हितानुबंध" एहवो ते शुक्ल नामाभिन्नवृत्तत्वादिप्रधान ते शुक्लाभिजाती एहवो थाय । पायं छिण्णकम्पाणुबंधो । खवइ लोगसनं । पडिसोअगामी, अणुसोअनिवित्ते, सया सुहजोगे, एस जोगी वियाहिए । एस आराहगे सामण्णस्स । जहागहिअपइण्णे सव्वोवहासुद्धे संधइ सुद्धगं भवं सम्म अभवसाहगं लोगकिरिआसुरूवाइकप्पं । तओ ता संपुण्णा पाउणइ अविगलहेउभावओ असंकिलिट्ठसुहरूवा अपरोवताविणीओ सुंदरा अणुबंधेणं न य अण्णा संपुण्णा, तत्तखंडणेणं । प्रायच्छिन (प्रायः छिन्न) छे कर्मानुबंध जेणे एहवौ ते वेद्यने वेदतो, प्रायोग्रहण कर्मशक्तिना अचिंत्यपणा माटें, कदाचित् बो(बां)) पण तथाविध अन्य कर्मने न बंधई, भगवद्वचनथी प्रतिकूल प्रभूत-संसाराभिनंदित सत्त्वक्रिया प्रीतिरूप लोकसंज्ञाने खपावै, प्रतिश्रोतोगामी क० साहमा पूरनो चालनार लोकाचारप्रवाह नदी प्रति, लोकाचारप्रवाह-नदी आश्रीनेंज अनुश्रोतोनिवृत्त, अनुश्रोतोनिवृत्तिना अभ्यासथी ज सदा शुभ व्यापारें संगत एहवो, ए पुरुष भगवंतें योगी व्याख्यात कहतां वखाण्यो । यथोक्तं-श्रामण्य एहवो जे जोगी ते श्रमणभावनो आराधक निस्पादक न्याय छै ए, यथोक्तं-"अणुसोयपट्ठीए (पइट्ठिए) बहुजणंमि पडिसोअलद्धलक्खेणं । पडिसोयमेव अप्पा दायव्वो होउ कामेणं ॥१॥ अणुसोयसुहो लोगो, पडिसोओ आसवो सुविहियाणं । अणुसोओ संसारो, पडिसोओ तस्स णिप्पेणं" ॥२॥ जथागृहित-प्रतिज्ञनें सम्यक्त्व प्रवृत्ति थकैं धुरथी मांडी, सर्वोपधाशुद्ध होइं ए प्रकारे निरतिचार, माटई संधत्ते क० जोडे सुद्धभव-जनमविसेसलक्षण प्रतें, सम्यक् प्रकारें सक्रिया करवें करी मोक्ष साधक, "सम्यक्त्वज्ञानचारित्रयोगः सद्योग उच्यते । एतद्योगाद्वियोगी स्यात्, परमब्रह्मसाधकः ॥" दृष्टांत कहें छई-भोगक्रियाने सुरूपादिक तुल्य रूपादिक रहितनें भोगक्रिया सम्यक् न होइ । यथोक्तं-"रूपं वयो वैचक्षण्य-सौभाग्यमाधुर्यैश्वर्याणि भोगसाधनमिति ।" ते सुरूपादितुल्य भव थकी संपूर्ण भोगक्रिया पामें, अविकल कारण थकी, संक्लेस रहित सुखरूपा भोगक्रिया सुन्यताभावें, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38