Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 01
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 174
________________ -: कृदन्तावली : हेत्वर्थ कृदन्त DDA वर्तमान कर्मणि कृदन्त वतमान कर्तरि कृदन्त क भावे कृदन्त LIDE कर्मणि भूत कृदन्त कर्तरि भूत कर्मणि तृ.पु. एक वचन के पाठ क्रमाक ek be कृदन्त विध्यर्थ क्रम. DUE गण्यमान गणाती / रचातो / 61. गण् |10|पर | गणयितुम् गणयित्वा | गणितवत् | गणित गण्यमान गणित | गणयितव्य,गणनीय,गण्य गण्यते गणयत् गणातो गणवू | गणायेलुं गणायेलू | गणवा योग्य गणाय छे गणेखें गणवा माटे गणीने गणतो 62. रच् |10|पर | रचयितुम् रचयित्वा रच्यमान |रचितवत् | रचित रचित रचयितव्य,रचनीय,रच्य |रच्यते रच्यमान |13| रचयत | रचवू / रचवा माटे रचीने रचातो रचतो / रचाय छे | रचेलु रचायेलु रचायेलु | रचवा योग्य स्पयमाण | स्पृह्यमाण | स्पृहितवत् | स्पृहित s/63. | स्पृह् |10| पर | स्पृहयितुम् |स्पृहयित्वा | स्पृहयत् स्पृहित | स्पृहयितव्य,स्पृहणीय,स्पृह्य |स्पृह्यते |13| चाहतुं / / चाहवा माटे चाहीने स्पहा करातो स्पृहाकरातो | स्पृहा करेलु स्पृहा करायेल स्पृहा करायेलु, स्पृहा करवा योग्य स्पृहा कराय छ| चाहतो गम्(गच्छ/1 | पर गन्तुम् गम्यमान गत्वा गतवत् / गम्यमान | गत गन्तव्य,गमनीय,गम्य गम्यते / गत गच्छत् ज, | जवा माटे जइने | जवातो जवाय छे जतो गएलो जवायेलु |जवायेलु | जवा योग्य द्रश्यमान 65. | द्रश्(पश्य1 |पर | द्रष्टुम् द्रश्यमान द्रष्ट्वा | द्रष्ट द्रष्टव्य,दर्शनीय,दृश्य द्रश्यते / पश्यत् द्रष्ट | जोवायेलु जोवायेलु | जोवा योग्य देख | जोवातो जोवाय छे जोवा माटे | जोइने जोतो | जोवाती / | जोयेलु 66. | स्था(तिष्ठ1 |पर | स्थातुम् स्थित्वा तिष्ठत् श्रीयमान स्थीयमान स्थीयमान / |स्थितवत् / स्थातव्य, स्थानीय, स्थेय स्थीयते |स्थित स्थित स्थिर स्थिर रहवा स्थिर रहीने स्थिर रहेतो स्थिर स्थिर स्थिर रहेल | स्थिर स्थिर स्थिर रहेवा योग्य स्थिर रहे | माटे | रहेवातो | रहेवायेलु रहेवायेलु रहेवाय छे 67. | दा(यच्छ) 1 पर | दातुम् दत्वा 1दीयमान दीयमान दत्त | दातव्य, दानीय, देय दत्त यच्छत् आपq आपवा माटे आपीने आपतो | अपातो आपेलु | अपायेलु अपायेलु आपवा योग्य अपाय छे जवातो द्रष्टवत् रहेवातो दीयते दत्तवत् अपातो

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