Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 01
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust
View full book text ________________ -: कृदन्तावली : हेत्वर्थ कृदन्त संबंधक भूत कृदन्त वर्तमान कर्तरि कृदन्त कृदन्त वर्तमान कर्मणि वर्तमान भावे कृदन्त Likepe कर्मणि भूत / क्रम. धातु कर्मणि तृ.पु. एक वचन पाठ क्रमांक भावे भूत Lall कृदन्त विध्यर्थ पद कदन्त विन्नवत् गुस्से गुस्से | गुस्से थतो गुस्से थवातो| गुस्से थवातो| गुस्से गस्से . गुस्से गुस्से थर्बु जोइए गुस्से . थवा माटे थइने / थयेलो थवायेलो थवायेलो | थवाय छे 175| लुप् 4 पर लोपितुम् लोपित्वा | लुप्यत् लुप्यमान लुप्यमान लुप्तवत् लुप्त लुप्त लोपितव्य,लोपनीय,लोप्य | लुप्यते 44 मुंझावु | मुंझावा माटे | मुंझाइने | मुंझातो |मुंझावातो | मुंझावातो | मुंझेलो | मुंझायेलो | मुंझायेलो | मुंझवा योग्य मुंझाय छे विद् 4 पर वेत्तुम् वित्वा | विद्यमान | विद्यमान विद्यमान | विन्न विन्न वेत्तव्य-वेदितव्य वेदनीय,वेद्य | विद्यते / थर्बु / थवा माटे थइने थतो थवातो थवातो थयेलो थवायेलो थवायेलो थवा योग्य थवाय छे 177| दीप् 4 आत्म | दीपितुम् दीपित्वा |दीप्यमान |दीप्यमान दीप्यमान दीप्तवत दीप्त दीप्त दीपितव्य, दीप्य दीप्यते दीपq | | दीपवा माटे | दीपीने दीपतो दीपातो दीपातो दीपेलो | दीपायेलो | दीपायेलो दीपवा योग्य दीपाय छे 178|प्र+वृत्त |1 |आत्म प्रवर्तितुम् प्रवृत्य प्रवर्तमान |प्रवृत्यमान प्रवृत्यमान | प्रवृत्तवत् प्रवृत्त प्रवृत्त प्रवर्तितव्य,प्रवर्तनीय,प्रवृत्य प्रवृत्यते 45) प्रवर्तवा माटे प्रवर्तीने प्रवर्ततो प्रवर्तातो प्रवर्तातो प्रवर्तेलो प्रवर्तायेलो प्रवर्तायेलो |प्रवर्तवा योग्य प्रवर्ताय छे 179/श्लाघ् 1 |आत्म श्लाघितुम् श्लाघित्वा श्लाघमान | श्लाद्यमान श्लाद्यमान श्लाधितवत् श्लाधित श्लाधित श्लाघितव्य,श्लाघनीय,श्लाघ्य श्लाघ्यते 45 वखाण्वामाटे वखाणीने | वखाणतो वखाणातो वखाणातो वखाणेलो | वखाणायेलो वखाणायेलो वखाण करवा योग्य वखाणाय छ / 180| उद्+वि 1 आत्म उद्विक्षितुम् |उद्वीक्ष्य उद्दीक्षमाण | उतीक्ष्यमाण | उद्वीक्ष्यमाण उद्वीक्षितवत् उद्दीक्षित |उद्वीक्षित उद्वीक्षितव्य, उद्वीक्षणीय, उद्वीक्ष्यते 46| +ईक्ष उद्वीक्ष्य जोवा माटे जोइने जोतो जोवातो जोवातो जाएलो जोवायेलो | जोवायेलो जोवा योग्य जोवाय छे प्रवर्तवू - वखाण /
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