Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 01
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust
View full book text ________________ -: कृदन्तावली : हेत्वर्थ कृदन्त संबंधक भूत कृदन्त वर्तमान कतरि कृदन्त वर्तमान कर्मणि कृदन्त / क्रम. धातु वर्तमान भावे कृदन्त कर्तरि भूत कमणि भूत कर्मणि तृ.पु. एक वचन भावे भूत कृदन्त कृदन्त lalo विध्यर्थ काpिh क |- प्रदान प्रदान | प्रदान करवू प्रयाण | प्रदान | प्रदान प्रदान प्रदान प्रदान | प्रदान करवा योग्य प्रदान करवा माटे | करीने करतो करातो करातो / |करेलो करायेलो करायेलो करवा योग्य कराय छे |106|प्र+स्था |1 |आत्म प्रस्थातुम् प्रस्थाय | प्रतिष्ठमान प्रस्थीयमान | प्ररथीयमान | प्रस्थीतवत् / प्रस्थीत प्रस्थीत प्रस्थातव्य,प्रस्थानीय, प्रस्थेय प्रस्थीयते - प्रयाण प्रयाण प्रयाण प्रयाण प्रयाण प्रयाण प्रयाण प्रयाण प्रयाण प्रयाण करव करवू | करवा माटे | करीने करतो करातो / करातो करेलो करायेलो करायेलो कराय छे 107| वि+रम् |1 |पर विरन्तुम विरत्य,विरम्य विरमत् विरम्यमाण |विरम्यमाण | विरतवत् | विरत विरत | विरन्तव्य, विरमणीय,विरम्य विरम्यते - अटकवू |अटकवामाटे अटकीने | अटकतो |अटकातो अटकातो | अटकेलो अटकायेलो अटकायेलो| अटकवा योग्य अटकाय छे |108| वि+ह |1 |उभय | विहर्तुम विहृत्य | विहरत, विह्रियमाण | विह्रियमाण | विहृतवत | विहृत विहृत | विहर्तव्य,विहरणीय,विहार्य | विह्रियते 129/ विहरमाण - विहार विहार विहार | विहार विहार / विहार विहार विहार विहार विहार करवा योग्य विहार करवो करवा माटे करीने करतो करातो | करातो करायेलो करायेलो कराय छे 109| वि+जि |1 |आत्म विजेतम विजित्य | विजयमान विजीयमान | विजीयमान | विजीतवत | विजीत विजीत / | विजेतव्य,विजयनीय,विजेय | विजीयते 29| - जीतq | | जीतवा माटे जीतीने जीततो जीतातो जीतातो जीतेलो जीतायेलो जीतायेलो | जीतवा योग्य जिताय छ / 110|सिध् 4 |पर |सेद्धम् सिद्धवा | सिध्यत् |सिध्यमान सिध्यमान |सिद्धवत् | सिद्ध सिद्ध | सेद्धव्य, सेध्य |सिध्यते --|सिद्ध सिद्ध थवा |सिद्ध सिद्ध थतो सिद्ध थवातो| सिद्ध थवातो सिद्ध थएलो सिद्ध सिद्ध सिद्ध थवा योग्य - करेलो सिद्ध
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