Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 01
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 184
________________ -: कृदन्तावली : हेत्वर्थ कृदन्त संबंधक भूत कृदन्त वर्तमान कर्तरि कृदन्त वर्तमान वर्तमान भावे कृदन्त कर्तरि भूत क्रम. कर्मणि कर्मणि तृ.पु. pie pile विध्यर्थ एक वचन Ink फाpih | पद | |10/ लेवो / / लेवा माटे लइने | लेतो लेवातो लेवातो लिधेलो | लेवायेलो लेवायेलो कराय छे 132| गर्छ 1, पर गर्जितुम् गर्जित्वा / गर्जत, गर्म्यमान | गर्व्यमान गर्जितवत् गर्जित गर्जित गर्जयितव्य, गर्जनीय, गर्व्यते 34 गर्जयितुम् |गर्जयित्वा गर्जयत् गर्जितव्य, गर्य गाजवू गाजवा माटेंगाजीने गाजतो गजातो गजातो | गाजेलो गजायेलो गजायेलो | गर्जना करवा योग्य गर्जाय छे 5133| द्युत् 1 आत्म द्योतितुम् द्योतित्वा | द्योतमान द्युत्यमान | धुत्यमान द्युतितवत् | द्योतित द्योतित धोतितव्य, द्योतनीय द्युत्यते 34 - दीपवू / दीपवा माटे | दीपीने | दीपतो दीपातो दीपातो दीपेलो दीपायेलो | दीपायेलो | दीपवा योग्य दीपाय छे 134/ वि+द्युत् 1 |आत्म विद्योतितुम् | विद्युत्य | विद्योतमान विद्युत्यमान | विद्युत्यमान | विद्युतितवत् विद्योतित | विद्योतित | विद्योतितव्य, विद्योतनीय विद्युतते 34 चमक / चमकवामाटे | चमकीने | चमकतो चमकातो चमकातो / | चमकेलो | चमकायेलो चमकायेलो, चमकवा योग्य चमकाय छ। 135| द्रुह 4 पर द्रोहितुम्, द्रोहित्वा | द्रुह्यत् द्रुह्यमान | द्रुह्यमान ढूँढवत् द्रुग्ध,द्रुढ द्रुढ द्रोहितव्य,द्रोहणीय,द्रोह्य द्रुह्यते 34 द्रोढुम्,द्रोग्धुम् दुग्ध्वाद्रुढ़वा द्रोहद्रोह द्रोह द्रोहद्रोह द्रोह | द्रोह द्रोह द्रोह करवा योग्य द्रोह / करवो करवा माटे | करीने करतो करातो करातो करेलो | करायेलो करायेलो कराय छे 136| अभि+ 4 पर अभिद्रोग्धुम् अभिद्रुह्य | अभिद्रुह्यत् अभिद्रुह्यमान | अभिद्रुह्यमान अभिद्रुढवत् | अभिद्रुढ अभिद्रुढ अभिद्रोहितव्य, अभिद्रोह्य अभिद्रुह्यते |34 अभिद्रोढुम् अभिद्रुग्धवत् अभिद्रुग्ध अभिमुग्ध | अभिद्रोहणीय द्रोह द्रोह द्रोह द्रोह द्रोहद्रोह द्रोह द्रोह द्रोह करवा योग्य द्रोह करवो करवा माटे | करीने करतो करातो / करातो करेलो करायेलो | करायेलो कराय छे

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