Book Title: Nyayaratna Darpan
Author(s): Shantivijay
Publisher: Bhikhchand Bhavaji Sakin

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Page 6
________________ न्यायरत्नदर्पण. कि, न्यायरत्न विद्यासागर मग्जने इल्म जैनधर्मोपदेष्टा प्रमुख विशेषणोंको धारण करनेवाले श्री शांतविजयजी महाराज शास्त्रोके प्रमाणोंसे सबके सवालोके जवाब देते है, तथा ऐसा कौनसा सवाल है कि जिसका उतर महाराज नही दे सकते है, इस मुआफिक बडाइकी बाते अकसर सुनताहुं. (जवाब ) विद्यासागर, न्यायरत्न जब दुसरे महाशयोके सवालोके जवाब देते होंगे जभीतो आप लोगोके सुननेमें ऐसा आया होगा कि हरेकके सवालोका जवाब शांतिविजयजी देते है, और उक्त विशेषणोंको धारण करनेवाले है. ___ फिर जहोरी दलिपसिंहजीने अपनी किताबके पृष्ट (२) पर तेहरीर किया है कि, सूर्य प्रज्ञप्तिकी वृत्तिका पाठ और उमास्वातिजीका वाक्य इन दोनो प्रमाणका विशेष खुलासा करनेके वास्ते पत्रद्वारा उनको लिखा. परंतु ऊसका जवाब न आनेसे दुसरा तीसरा अनुक्रम छह पत्र लिखे, जिसमें एक पत्रकी भी पहुंच न मिली. (जवाब) एक पत्रकी भी पहुंच इस लिये नही मीली कि, बजरीये छापेके क्यों नही पुछा ? जब बजरीये छापेके मेने जवाब दिये थे तो बजरीये चीठीके में खुलासा क्यों लिखु ? सूर्यप्राप्ति वृत्तिकी गाथाके बारेमें सुनिये ! पूर्वपक्ष करके अपने पक्षकी साबीतीके लिये कोई महाशय बजरीये छापेके पाठ देते जाय और बदलेके पाठ मुजसे लेते जाय. दोनो तर्फसे पाठ जाहिर होते रहे तो पढनेवालोको फायदा पहुंचे, मेने मेरे लेखमें पुछाथा कि किसी महिनेमें पुनम या अमावास टुट जाय तो बारह पर्वतिथिमें एक पर्वतिथि कम हुई. फिर बारह पर्वतिथिके रौज व्रत नियम करनेवाले कैसे वर्ताव करे ? क्या ! एक दिनका व्रत कम करे ? इसका कोई जवाब देवे. महाराज ऊमास्वातिजीका वाक्य जो मेने मेरे

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