Book Title: Nyayaratna Darpan
Author(s): Shantivijay
Publisher: Bhikhchand Bhavaji Sakin

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Page 25
________________ न्यायरत्नदर्पण. २३ और आज उसतीर्थकी कितनी तरक्की हुई है ? कोई जाकर देखे, या दखन हैदराबाद, सिकंदराबादके श्रावकोसें दरयाफत करे, पहले के जैनाचार्योने और जैन मुनियोने जोजो फायदे जैन संघकों पहुचाये ऊनकी बराबरी आपन लोगोसे क्या होसकती है ? मगर जब कोई इस बात का सवाल करे तो सचबात लिखना कोई बेंइन्साफ नही. इसलिये यह बात लिखी गई है. आगे रैलविहारी जैनमुनिको बगीमें बेठकर रात्रीको गांव में जाना पडेगा ऐसा जो पुछा गया है उसके जवाब में मालुम हो, दिनमें जानेवाली रैलमें बेठे और टेशनपरसे दिनमें पैदलविहार से शहेरमें जावेतो जासकते है, रैलमें बेठनेवाले जैनमुनिको कभी बेंटाइम गोचरी जाना पडेगा, ऐसा जो पुछागया है, जवाब में मालुम हो, बेंटाइम गौचरी न जावे, और वख्त होनेपर जावे तो जासकते है, देखिये ! सब बातोंके स्पष्ट खुलासे देदिये है, सात सवालो के जवाब खतम हुवे, इसपर जो कुछ लिखनाहो, शौखसे लिखे फिर जवाब दूंगा. फिर जहोरी दलिपसिंहजीने अपनी किताबके पृष्ट (१५) पर लिखा है कि न्यायरत्नजी महाराजसें विनति करताहुं के इस लेख में लोकी क्षमाकरके आप अन्यअन्य बातोंकी आड और विषयांतर न लेकर इन सात प्रश्नोका शिघ्रता से उत्तर दिजियेगा, इस तस्दीकी माफी किजियेगाजी, आपका उत्तराभिलाषी कृपाकांक्षी दलिपसिंह जहोरी . - ( जवाब . ) यह किताव न्यायरत्नदर्पण बतौर जवाबके दिई जाती है, छह चीठी और सातसवालोके जवाब इसमें दर्ज है, मेने दुसरीबातोकी आड नही लिइ, और न विषयांतर किया है, आपके लेखोको सामने रखकर बराबर जवाब देता रहाहुं. आगे जहोरी दलिपसिंहजीने अपनी किताबकी अखीरमें पृष्ट

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