________________ नित्य नियम पूजा कवि बुधजनजी कृत स्तुति [हिन्दी दर्शनपाठ] प्रभु पतित पावन मैं अपावन चरण आयो शरणजी। यो विरद आप निहार स्वामी मेट जामन मरणजी / / तुम ना पिछान्यो आन मान्यो देव विविध प्रकारजी। या बुद्धि सेती निज न जान्यो भ्रम गिन्यो हितकारजी। भव विकट बनमें कर्म वैरी ज्ञान धन मेरो हन्यो। तब इष्ट भूल्यो भ्रष्ट होय अनिष्ट गति धरतो फिरयो / धन घड़ी यो धन दिवस यो ही धन जनम मेरो भयो। अब भाग मेरो उदय आयो दरश प्रभुको लख लयो॥ छवि वीतरागी नगन मुद्रा दृष्टि नासा पै धरै / वसु प्राविहार्य अनन्त गुणजुत कोटि रवि छविको हरें॥ मिट गयो।तिमिर मिथ्यात्व मेरो उदय रवि आतम भयो। मो उर हरष ऐसो भयो मनु रङ्क चिंतामणी लयो। मैं हाथ जोड़ नवाय मस्तक वीनऊं तुव चरणजी। सर्वोत्कृष्ट त्रिलोकपति जिन सुनहु तारण तरणजी / / जाचूनही सुरवास पुनि नर राज परिजन साथजी / बुध' जाचहूं तुम भक्ति भव भव दीजिये शिवनाथजी /