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निकट नवीन जल मन्दिर बन रहा है, उसमें मूल नायकके अगलवगल में पार्श्वनाथ भगवान की मूर्तिये प्रतिष्ठित करवाने के लिये श्रीपतसिंह जी एवं आपकी धर्मपत्नी श्रीमती रानी धन्नाकुमारीके नाम से १०,०००) दस हजार रुपये प्रदान किये हैं एवं बनारस में आपके पूर्वजों का बनाया हुआ विशाल मंदिर है। उसके जीर्णोद्धार में भी इस वर्ष लगभग ५००) पाँच सौ रुपये लगाये हैं। इसके अतिरिक्त -"आदिनाथ-हिन्दी-जैन-साहित्य-माला" को ५१०४ । पांच हाजार एक रुपयेका पुरस्कार दिया है जिसका प्रकाशन काशीनाथ जैन करते रहते हैं। साहित्य-प्रचारको इन्छा से पशुंपण आदि उत्सवोंके सुअवसर पर लगभग २५००) रुपये मूल्यकी पुस्तके प्रभावनामें प्रदान कर ज्ञान-दानका अपूर्व लाभ प्राप्त किया है। और समय समय पर जान-प्रभावना करते रहते हैं। अजीमगंजके श्रीपद्मप्रभु भगवानके मन्दिरके जीर्णोद्धार करवाने में १५००) तथा शान्तिनाथ भगवानके मन्दिरके जीर्णोद्धार में ५००) रुपये प्रदान किये हैं। इसके अलावा राजगिरीमें ६००८) रुपये की लागतसे विश्राम गृह बनवाया है जिसमें जैन वन्धु जलवायु परिवर्तनके लिये आते और ठहरते हैं। यह विश्राम गृह आपकी अनुपस्थिती में श्वे. जैन धर्मशालाके अन्तर्गत रहेगा। इसकेसिवा राजगिरी के मन्दिरका जीर्णोद्धार हो रहा है, उसमें भी आपने ५०००) रुपये प्रदान किये हैं, इधर गतवर्ष फलकत्ते में दीक्षोत्सब हुआ था, उसमें उपकरणकी बोली में तोन हजार रुपये लगाये थे।
जीयागंज में आपकी संस्था-श्रीविमलनाथ भगवानका मन्दिर, पौषधशाला, आयंबिल खाता, अक्षय निधि खाता, तथा धर्मशाला