Book Title: Naywad Ane Yukti Prakash
Author(s): Padmasagar Gani, Hemchandrasuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 30
________________ ॥ मूलम्॥इति स्फुरद्वाचकधर्मसागर - क्रमाब्ज,गः कविपद्मसागरः॥ युक्तिप्रकाशं स्वपरोपकारं। कर्तुं चकारार्हतशासनस्थः ॥२८॥ ॥टीका ॥ -अथ ग्रंथोपसंहारार्थमाह, इति स्फु० सुकरमेवेदं वृत्तमिति ॥ इति श्रीयुक्ति प्रकाशविवरणं भट्टारक घटाकोटिकोटीर श्रीहीरविजयसूरीश्वरविजयराज्ये महोपाध्यायश्रीधर्म सागरगणिशिष्य पं. पद्मसागरगणिविरचितं संपूर्णम् ॥ ग्रंथाग्रं ३००॥ ॥ इति श्रीयुक्तिप्रकाशविवरणं समाप्तं॥

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