Book Title: Mulachar ka Samikshatmak Adhyayana Author(s): Fulchandra Jain Shastri Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 8
________________ श्रावकरत्न स्वर्गीय श्री पारसमल जी कांकरिया स्वर्गीय श्री पारसमल जी कांकरिया का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में गोगोलाव नामक स्थान में १४-१०-१९१५ को हुआ। आप सुप्रसिद्ध पटसन (जट) उद्यमी स्वर्गीय किशनलालजी कांकरिया के ज्येष्ठ पुत्र थे एवं १५ वर्ष की अल्पायु में ही कलकत्ता आकर व्यावसायिक क्षेत्र में अग्रणी हो गये। कलकत्ता के जूट व्यवसाय की एकमात्र प्रतिनिधि संस्था जूट बेलर्स एसोसियेशन के कई पदों को सुशोभित करते हए आप अध्यक्ष भी बने। आपके द्वारा अनुमोदित कई व्यापारिक संगठन आज भी सुचारु रूप से संचालित हैं। __आप मृदुभाषी एवं अत्यन्त सरल प्रकृति तथा व्यवहार कुशल थे; आपकी प्रत्येक क्रिया विवेक एवं जागृति से परिपूर्ण होती थी। आपकी बहुमुखी प्रतिभा की अमिट छाप समाज के हर व्यक्ति पर है । धर्म और साधु-सन्तों के प्रति आपकी अटूट श्रद्धा थी। एक सुश्रावक होने के नाते आचार्य श्री १००८ श्री नानालालजी महाराज साहब के दर्शन एवं सेवाभक्ति का कोई भी अवसर नहीं खोते थे । वास्तव में दानवीरता, शालीनता एवं सादगीपूर्ण जीवन का एक ऐसा उदाहरण आज की इस दुनिया में दुर्लभ है । आप श्री श्वे० स्थानकवासी जैन सभा के कई पदों पर रहते हुए अध्यक्ष भी बने एवं इसके ट्रस्टी मण्डल के अन्त तक सदस्य रहे। आप अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ के संस्थापक एवं स्तम्भ सदस्यों में थे तथा ३ वर्ष तक अध्यक्ष रहकर संघ की प्रगति को गति प्रदान कर जैन समाज में जागति लाये । आप इसके विश्वस्त मण्डल के सदस्य भी थे। आप अनेक सामाजिक संस्थाओं से संलग्न थे। सामाजिक एवं धार्मिक प्रवृत्तियों में आपका सर्वदा तन-मन-धन से पूर्ण सहयोग रहा। अपने स्वर्गीय पिताश्री के नाम से नागौर में सेठ किशनलाल कांकरिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना करवाई तथा कलकत्ता के उपनगर विराटी में अपने मातुश्री के नाम से मातृ-मंगल ( मेटरनिटी) हास्पीटल बनवाया। कांकरिया चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित गोगोलाव में एक औषधालय सफलतापूर्वक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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