Book Title: Mantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 9
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (17) इच्छित कार्य साधक मंत्र : ऊं ह्रीं अरिहंत सिद्ध आयरिय उवज्झाय साहू चुलु चुलु हुलु हुलु कुलु कुलु मुलु मुलु इच्छियं में कुरु कुरु स्वाहा। विधि : कम-से-कम २१ दिन तक १०८ बार जाप करें तो इच्छित कार्य सिद्धि होय। (18) चिंतामणि मंत्र : ओं ह्रीं श्रीं ऐं अहँ क्लीं क्लीं ब्लौं ब्लौं भ्रौं भ्रौं यूँ नमिऊण पासनाह दुखारि विजयं कुरू कुरू स्वाहा। विधि : इस मंत्र का सवा लाख जप करने से सभी प्रकार के मनचिंतित कार्य सिद्ध होते हैं। 19) चिन्तामणि मंत्र : ऊँ नमो भगवते विश्व चिन्तामणि लाभदे रूपदे जशदे जयदे आनय महेसरि मनवांछितार्थ पूरय-पूरय सर्व सिद्धि रिद्धि वृद्धि सर्वजन वश्यं कुरू कुरू स्वाहा। विधि : इस चिन्तामणि मंत्र को नित्य प्रभात-संध्या में जपें, धूप खेवें तो सर्वसिद्धि होय। (3) सर्व ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त मंत्र (1) सर्व सिद्धियां प्राप्त मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ अ सि आ उ सा भूर्भुवः स्वः चक्रेश्वरी देवी सर्व रोगं भिंद भिंदं ऋद्धि वृद्धि कुरु कुरु स्वाहा। विधि-श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जाप करने से स्त्री संबन्धी समस्त कठिन रोगों का नाश होता है और सर्व सिद्धियां प्राप्त होती हैं। (2) सर्व सिद्धि प्रदायक मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू णमो लोए सव्वसाहूणं । विधि- २५ हजार बार जाप कर मंत्र सिद्धि करें, फिर प्रतिदिन तीन माला जपें। (3) ऋद्धि-सिद्धि मंत्र- ॐ ह्रीं णमो अरहंताणं मम ऋद्धिं वृद्धिं समीहितं कुरु-कुरु स्वाहा। विधि- शुद्ध होकर प्रतिदिन १०८ बार जाप करें तो सर्व प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त होगी। (4) ऋद्धि-सिद्धि-अहँ मंत्र- ॐ ह्रीं णमो अरहंताणं मम ऋद्धि वृद्धि समीहितं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- शुद्ध होकर प्रतिदिन प्रातः सायं बत्तीस बार इस मंत्र का जाप करें तो सर्व प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है। (5) ऋद्धि सिद्धि बढ़ाने का मंत्र- ॐ ह्रीं हूं सः स्वाहा। विधि- ११ रविवार के दिनों में रात्रि के समय सोने के पूर्व १०८ बार जपने से ऋद्धि सिद्धि बढ़ती है। (6) अनेक सिद्धि मंत्र- ॐ ह्रीं णमो जिणाणं विधि- प्रतिदिन इस मंत्र का १०८ बार जाप करना चाहिए। 101

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