Book Title: Manik Vilas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 6
________________ (.) ६ पद--राग मोरट मंझोटी में ॥ जगत में सम्यक सेली सार । जगणाटेक।। नोठि मिली मोहि बड़ेभाग्य तें दरशन मोह निवार ॥ जग० १॥ दुर्लभ नरभत्र पाय तहां वह मिले कुगुरु व्याहार । सो कुसंग तजिसेली आयो पायोवृप सुखकार जग०२।। कुगुरु कुदेव धर्म आदि सब जाने मिथ्या चार । सेली के परताप तजे हम जैनाभास लबार ॥ जग० ३ ॥ आपापर को भेद पि. छानो भानो चिर भ्रमभार । मानिक जय. वंतोनित सेलो शिवमारग दातार ॥जग०॥ पद-रागपद ॥ भोरो मति तेरीरे सुज्ञानीरा लागे हो विषयनि धाइ ॥ टेक ॥ इन प्रसंग चहुंगति भटकाये पाये दुख अधिकाय ॥ भोरी० १॥ पराधीन छिन अधिक होन इक छिनक

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