Book Title: Mangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 11
________________ मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन म= स्तम्भक और मोहक बीजोका जनक, कार्यसाधक, साधनाका अवरोधक, माया बीजका जनक । ____ट= वह्निवीज, आग्नेय कार्योंका प्रसारक और निस्तारक, अग्नितत्त्व युक्त, विध्वंसक कार्योंका साधक । = अशुभ सूचक बीजोका जनक, क्लिष्ट और कठोर कार्योका साधक, मृदुल कार्योंका विनाशक, रोदन-कर्ता, अशान्तिका जनक, सापेक्ष होनेपर द्विगुणित शक्तिका विकासक, वह्निवीज । 3 = शासन देवताओकी शक्तिका प्रस्फोटक, निकृष्ट कार्योंकी सिद्धिके लिए अमोघ, सयोगसे पचतत्त्वरूप वीजोका जनक, निकृष्ट आचार-विचारद्वारा साफल्योत्पादक, अचेतन क्रिया साधक । ढ%3D निश्चल, मायावीजका जनक, मारण बीजोमे प्रधान, शान्तिका विरोधी, शक्तिवर्धक । ण = शान्ति सूचक, आकाश वीजोमे प्रधान, ध्वसक बीजोका जनक, शक्तिका स्फोटक । त = आकर्षकवीज, शक्तिका आविष्कारक, कार्यसाधक, सारस्वत: बीजके साथ सर्वसिद्धिदायक । थ= मगलसाधक, लक्ष्मीबीजका सहयोगी, स्वरमातृकाओंके साथ मिलनेपर मोहक । द= कर्मनाशके लिए प्रधान बोज, यात्मशक्तिका प्रस्फोटक, वशीकरण वीजोका जनक । ध = श्री और क्ली बीजोका सहायक, सहयोगीके समान फलदाता, माया बीजोका जनक । न = आत्मसिद्धिका सूचक, जलतत्त्वका स्रष्टा, मृदुतर कार्योंका साधक, हितैषी, आत्मनियन्ता। प = परमात्माका दर्शक, जलतत्त्वके प्राधान्यसे युक्त, समस्त कार्योंकी सिद्धिके लिए ग्राह्य।

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