Book Title: Mangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 10
________________ मंगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन भौ = मारण और उच्चाटनसम्बन्धी बीजोंमे प्रधान, शीघ्र कार्यसाधक, निरपेक्षी, अनेक बीजोका मूल । अं = स्वतन्त्र शक्तिरहित, कर्माभाव के लिए प्रयुक्त व्यानमन्त्रोंमें प्रमुख, शून्य या अभावका सूचक, आकाश बीजोका जनक, अनेक मृदुल शक्तियोका उद्घाटक, लक्ष्मी वीजोका मूल । भ. = शान्तिवीजोमे प्रधान, निरपेक्षावस्था मे कार्य असाधक, सहयोगीका अपेक्षक । १० क = शक्तिवीज, प्रभावशाली, सुखोत्पादक, सन्तानप्राप्ति की कामनाका पूरक, कामबीजका जनक । ख = आकाशवीज, अभाव कार्योंकी सिद्धिके लिए कल्पवृक्ष, उच्चाटन वीजोका जनक | ग = पृथक् करनेवाले कार्योंका साधक, प्रणव और माया बीजके साथ कार्य सहायक | घ = स्तम्भक बीज, स्तम्भन कार्योंका साधक, विघ्नविघातक, भारण और मोहक वीजोका जनक | ८ = शत्रुका विध्वंसक, स्वर मातृका बीजोके सहयोगानुसार फलोत्पादक, विध्वसक वीज जनक । च = अगहीन, खण्डशक्ति द्योतक, स्वरमातृकावीजोंके अनुसार फलोत्पादक, उच्चाटन बीजका जनक | छ = - छाया सूचक, माया बीजका सहयोगी, वन्धनकारक, आपबीजका जनक, शक्तिका विध्वसक, पर मृदु कार्योंका साधक । ज = नूतन कार्योंका साधक, शक्तिका वर्द्धक, आधि-व्याधिका शामक, आकर्षक वीजोका जनक | झ = रेफयुक्त होनेपर कार्यसाधक, आधि-व्याधि विनाशक, शक्तिका संचारक, श्रीवीजोका जनक | C


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