Book Title: Mangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 9
________________ मगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन अ = अव्यय, व्यापक, आत्माके एकत्वका सूचक, शुद्ध-बुद्ध ज्ञानरूप, शक्तिद्योतक, प्रणव बीजका जनक । ___ आ = अव्यय, शक्ति और बुद्धिका परिचायक, सारस्वतबीजका जनक, मायावीजके साथ कीत्ति, धन और आशाका पूरक । इ= गत्यर्थक, लक्ष्मी-प्राप्तिका साधक, कोमल कार्यसाधक, कठोर कर्मोंका बाधक, वह्निबीजका जनक । ई = अमृतवीजका मूल, कार्यसाधक, अल्पशक्तिद्योतक, ज्ञानवर्द्धक, स्तम्भक, मोहक, जृम्भक ।। उ = उच्चाटन वीजोका मूल, अद्भुत शक्तिशाली, श्वासनलिकाद्वारा जोरका धक्का देनेपर मारक । ___ ऊ = उच्चाटक और मोहक वीजोका मूल, विशेप शक्तिका परिचायक, कार्यध्वसके लिए शक्तिदायक । ___ऋ = ऋद्धिबीज, सिद्धिदायक, शुभ कार्यसम्बन्धी बीजोका मूल, कार्यसिद्धिका सूचक । ल = सत्यका सचारक, वाणीका ध्वसक, लक्ष्मीबीजकी उत्पत्तिका कारण, आत्मसिद्धिमे कारण । ए = निश्चल, पूर्ण, गतिसूचक, अरिष्ट निवारण वीजोका जनक, पोषक और सवर्द्धक । - ऐ = उदात्त, उच्चस्वरका प्रयोग करनेपर वशीकरणवीजोका जनक, पोषक और सवर्द्धक । जलवीजकी उत्पत्तिका कारण, सिद्धिप्रद कार्योंका उत्पादकबीज, शासन देवताओका आह्वानन करनेमे सहायक, क्लिष्ट और कठोर कार्योंके लिए प्रयुक्त बीजोका मूल, ऋण विद्युत्का उत्पादक । ___ ओ= अनुदात्त, निम्न स्वरकी अवस्थामे माया बीजका उत्पादक, लक्ष्मी और श्रीका पोपक; उदात्त, उच्च स्वरकी अवस्थामे कठोर कार्योंका उत्पादक बीज, कार्यसाधक, निर्जराका हेतु, रमणीय पदार्योंकी प्राप्तिके लिए प्रयुक्त होनेवाले बीजोमे अग्रणी, अनुस्वारान्त बोजोका सहयोगी ।

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