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મહાક્ષત્રપ રાજા રૂદ્રદામા.
हिन्दी अनुवाद. पं.१-२ यह तालाव सुदर्शन गिरिनगर से भी दूर...मिट्टी-पत्थरों की विस्तृत, लम्बी, ऊंची,
सन्धि-हीन सब दृढ पाळियों से बँधा होने के कारण पर्वत के चरणकी प्रतिस्पर्धा करने वाले सुश्लिष्ट...अकृत्रिम सेतुबन्धं से उपपन्न, भलीप्रकार बनी हुई नालियों, मोरियों
और मैला निकालने के रास्तों से युक्त, तीन स्कन्ध वाला...आदि अनुग्रहोंसे ( अब )
बड़ी अच्छी हालत में है। पं. ३-४ सो यह तालाव राजा महाक्षत्रप सुगृहीतनामा स्वामि चष्टन के पोते (पौत्र )...बेटे
( पुत्र ) राजा महाक्षत्रप, बुजर्गलोग भी जिसके नामको जपा करते हैं ऐसे, रुद्रदामा के
बहत्तर (७०+२) बरस मेंपं. ५ मार्गशीर्ष कृष्ण प्रति...बादलके बहुत बरसने से पृथ्वी के एक समुद्रकी तरह होजाने
पर ऊर्जयेत् नामक पर्वतसे सुवर्णसिकतापं. ६ पलाशिनी आदि नदियों के बहुत ही बढ़े हुए वेगोंसे सेतु...अनुरूप, प्रतीकार किये
जाने पर भी, पहाड़ के शिखरों, वृक्षों, अट्टालिकाओं, उपतल्पों, दरवाजों तथा शरण
लेनेको बनाये हुए ऊंचे स्थानों का विध्वंस कर देनेवाले युगनिधन सदृशपं. ७ परम घोर वेग वायुद्वारा मथे हुए पानीसे फेंके गये और जर्जर किये गये...पत्थरों,
पेड़ों, झाडियों, लताओं के फेंके जाने से ठीक नदी की तलैटी तक उखड़ गया था । बीस
ऊपर चारसौ हाथ लंबा, उतना ही चौडापं. ८ पचहत्तर हाथ गहरा दराड़ हो जाने से सब पानी निकल जाने के कारण मरु और
बांगर के समान बहुत ही दुर्दर्शन ( बुरा दीखनेवाला )...(।)...के लिए मौर्यराजा चंद्रगुप्त के राष्ट्रिय ( सूबा ) वैश्य पुष्यगुप्त का बनवाया, अशोक मौर्य के लिए यवन
राज तुषास्फने अपने अधिष्ठातृत्व में जिसेपं. ९-१० नालियों से अलंकृत किया था ऐसा, और उसकी बनवाई राजाओं के अनुरूप
* तूनागद + अविदूर-नजदीक मेवे। ५४
होता तो. १ बांध. २ गिरनार. ३ उपरली मंजिलों. ४ अधिकार. ५ नहेरें.
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