Book Title: Mahakavi Harichandra Ek Anushilan
Author(s): Pannalal Sahityacharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 203
________________ स्तम्भ ४ : सामाजिक दशा और युद्ध-निदर्शन जीवन्धरचम्पू से ध्वनित सामाजिक स्थिति जीवन्धरचम्पू के अध्ययन से निम्नांकित सामाजिक स्थितियां प्रतिफलित होती हैवैवाहिक १. एक पुरुष के अनेक विधाह होते थे। २. क्षत्रिय और वैश्य-वर्ण के बीच विवाह होते थे। ३. शुद्रवर्ण के साथ उच्च-वर्णवालों का विवाह नहीं होता था। ४. अपरिपपय अवस्था में भी विवाह होते थे । ५. पिता के द्वारा कन्या का विया जाना तथा स्वयंवर प्रथा के द्वारा वर का चुनाव होना-ये विवाह की रीतियां थीं । कदाचित् गन्धर्व विवाह भी होता था। स्वयंवर की प्रथा राजा-महाराजा तथा बड़े लोगों तक ही सीमित थी। ६. बर के अन्वेषण में लोग प्रायः निमित्त-ज्ञानियों की भविष्यवाणी को ही महत्त्व देते थे। ७. विवाह अम्नि की साक्षी-पूर्वक होता था। लकड़ी के खाम को आवश्यकता नहीं रहती थी। पिता के द्वारा संकल्प के लिए वर के हस्ततल पर जलधारा दी जाती थी तदनन्तर वर कन्या का पाणिग्रहण करता था। भाँवर की प्रथा नहीं थी। ८. मामा की लड़की के साथ भी विवाह होता था। इस तरह विवाह में केवल एक सांक बचायी जाती थी। १. जीवघर के स्वयै थाठ पिवाह हुए 1 २. जीवन्धर ने पत्रिमवर्ण होकर गुणमाला, क्षेमश्री, विमला और मुरमंजरी इन चार वैश्य कन्याओं के साध विवाह किपा। ३. जीवन्धर ने नन्दगोप की कम्पा गोदावरी के साथ स्वयं विवाह न कर पदमास्य के साथ उसका विवाह कराया। सचूडामणि में वादीसिंह ने 'न ह्य योग्ये सता रूपहा' इस मुक्ति से उनकी इस क्रिया का समर्थन किया है। ४. जीवन्धरकुमार का १६ वर्ष की अवस्था में माता के साथ मिलान मा पा पर उससे पूर्व उनके विवाह हो चुके थे। ५, जीवन्धर ने गन्धर्वदत्ता और लक्ष्मण को स्वयंवर पिधि से प्रान किया था और मेष को पिता या अपज के दिये जाने पर। ६. लक्ष्मणा, जीवन्धर के मामा की लड़की थी। महाकवि हरिचन्द्र : एक अनुशीलन

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