Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer

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Page 4
________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन प्रस्तावना - डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, जयपुर मोक्षमार्ग प्रकाशक जैसे प्रौढ़ ग्रन्थ के लेखक महापण्डित टोडरमलजी और पुराण ग्रन्थों के वचनिकाकार पण्डित दौलतरामजी कासलीवाल के समकालीन विद्वान कविवर भूधरदासजी, नाटक समयसार जैसे ग्रन्थ के रचयिता कविवर बनारसीदासजी द्वारा आगरा में स्थापित अध्यात्म सैली में संस्कारित हुए थे। आप उक्त सैली के अपने समय के प्रमुख विद्वान थे। महापण्डित टोडरमलजी के अनन्य सहयोगी साधर्मी भाई ब. रायमल्लजी जहाँ एक ओर पण्डित दौलतरामजी कासलीवाल से मिलने उदयपुर गए, टोडरमलजी से मिलने जयपुर आर; ती ते धरदासजी से मिलने आगरा भी गए थे। जैसा कि उनके द्वारा लिखित जीवन पत्रिका के निम्नांकित अंश से स्पष्ट है - ___ "पीछे राणां का उदैपुर विषै दौलतराम तेरापंथी, जैपुर के जयस्यंघ राजा के उकील ' तासूं धर्म अर्थि मिले। वाकै संस्कृत का ज्ञान नीकां, बाल अवस्था सूं ले वृद्ध अवस्था पर्यन्त सदैव सौ पचास शास्त्रां का अवलोकन कीया और उहाँ दौलतराम के निमित्त करि दस बीस साधर्मी वा दस बीस बायां सहित सैली का बणाव बणि रह्या । ताका अवलोकन करि साहिपुरै पाछा आए। पीछे केताइक दिन रहि टोडरमल्ल जैपुर के साहूकार का पुत्र ताकै विशेष ज्ञान जानि वासू मिलने के अर्थि जैपुर नगरि आए। सो इहां वाकू नहीं पाया, अर एक वंसीधर किंचित् संयम का धारक विशेष व्याकरणादि जैनमत के शास्त्रां का पाठी, सौ पचास लड़का पुरुष बायां जा नखें' व्याकरण छन्द अलंकार काव्य चरचा पद, ता सूं मिले। पी3 वा छोडि आगरै गए । उहाँ स्याहगंज विषै भूधरमल्ल साहूकार व्याकरण का पाठी घणां जैन के शास्त्रां का पारगामी तासूं मिले और सहर विषै एक धर्मपाल सेठ जैनी अग्रवाल व्याकरण का पाठी मोती कटला कै चैतालै शास्त्र का व्याख्यान कर, स्याहगंज के चैतालै भूधरमल्ल शास्त्र 1. वकील 2. जिसके पास

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