Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana Author(s): Narendra Jain Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer View full book textPage 3
________________ . महाकवि भूधरदास : इनके इस शोध प्रबन्ध में 9 अध्याय हैं। जिनमें हिन्दी संत साहित्य का अन्वेषणात्मक परिचय महाकवि पं. भूधादास का व्यक्तित्व, जीवन परिचय, उनके द्वारा रचित प्रसिद्ध महाकाव्य पार्श्वपुराण, मुक्तक काव्य जैन शतक, पदसंग्रह आदि अलौकिक कृतियों का भावपक्षीय एवं कलापक्षीय समालोचनात्मक अनुशीलन, उनके दार्शनिक, आध्यात्मिक एवं वैराग्यमूलक धार्मिक विचार व चिन्तन शैली, हिन्दी संत साहित्य के विशेष सन्दर्भ में उनका तुलनात्मक अध्ययन, उल्लेखनीय विशिष्ट योगदान आदि विषयों पर बहुत गहराई से प्रकाश डाला गया है। यह शोध प्रबन्ध हिन्दी संत साहित्य की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, आध्यात्मिक एवं धार्मिक दृष्टि से भी इसकी अपनी मौलिकता एवं गरिमा है। वीतराग जिनशासन में अध्यात्म एवं वैराग्य का सुन्दर समन्वय पं. भूधरदास जी की सभी रचनाओं में सहजरूप में ही मिल जाता है। उनके द्वारा रचित बारह भावनाएँ, अनेक आध्यात्मिक पद एवं जैन शतक सभी आत्माची मुमुक्षुओं के कंठहार हैं । “पार्श्वपुराण" महाकाव्य तो अपने आप में अनूठा है ही - ऐसी सभी रचनाओं का अनुशीलन करने वाले इस शोध प्रबन्ध के प्रकाशन से ट्रस्ट गौरवान्वित देश-विदेश में ख्यातिप्राप्त, तार्किक, आध्यात्मिक विद्वान डॉ. हुकमचन्द जी भारिल्ल ने हमारे विशेष अनुरोध पर यह अति मार्मिक एवं प्रभावी प्रस्तावना लिखी है; जिसमें उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण मनन योग्य तथ्यों को उजागर किया है। ट्रस्ट आपका बहुत-बहुत आभारी है। इस लोकोपयोगी ग्रन्थ के प्रकाशन एवं मूल्य कम करने हेतु श्री कुन्दकुन्द कहान दि. जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट बम्बई, पूज्य श्री कानजीस्वामी स्मारक ट्रस्ट देवलाली तथा अन्य दातारों ने जो अनुदान राशि प्रदान की है (सूची अलग से प्रकाशित है) ट्रस्ट उनके प्रति आभार व्यक्त करता है। हमें आशा है कि महाकवि पण्डित भूधरदास जी की वैराग्य एवं अध्यात्म समन्वित विशिष्ट धार्मिक रचनाओं के अध्ययन से सभी धर्म प्रेमी बंधुओं को नैतिक, धार्मिक जीवन एवं मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर होने की पावन प्रेरणा प्राप्त हो सकेगी। विनीत : हीराचन्द बोहरा मंत्री, वीतराग विज्ञान स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, अजमेरPage Navigation
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