Book Title: Laghu Dandak Ka Thokda Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya View full book textPage 9
________________ [६] २ ऋषभनाराच - जिसके उदयसे वज्र के हाड और वज्रकी कीली हो । ३ नाराच - जिसके उदय से बेष्टन और कीली सहित हाड हो । ४ अर्धनाराच - जिसके उदय से हाडोंकी संधि अर्ध कीलित हो । ५ कीलक (कीलिका) - जिसके उदयसे हाड परस्पर कीलित हो । ६ अप्रापाटिका ( छेवह) - जिसके उदय से जुदे २ हाड नसोंसे बंधे हों- परस्पर कीले हुए न हों। ४ संठाण द्वार- संस्थान किसको कहते हैं ? जिस कर्मके उदय से शरीर की आकृति ( शकल) बने उसको संस्थान कहते हैं । उसके भेद छह:-- १ समचतुरस्त्र (समचोरस) -- जिसके उदय से शरीर की शकल ऊपर नीचे तथा बीचमें सम भागसे सुन्दराकार बने । २ न्यग्रोध परिमण्डल - जिसके उदय से जीवका शरीर बड़के वृक्ष की तरह हो, अर्थात् जिसके नाभिसे उपर का भाग त्रिकलक्षणोपेत पूर्ण प्रमाण हो औरPage Navigation
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