Book Title: Laghu Dandak Ka Thokda
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 29
________________ [२६] २३ गह--पहेली नारकी से लगाकर यावत् छठी नारकी तक दोय गतिसे ग्रावे और दोय गतिमें जावे। तिर्यंच गति और मनुष्य गति । दण्डक आसरी दोय दण्डक से आवे और दोय दण्डकमें जावे । तिर्यंचपंचे. न्द्रियका और मनुष्यको । मातमी नारकीमें दोय गति से आवे, तिर्यच गति का और मनुष्य गतिका, और जावे एक तिर्यंच गतिमें । दण्डक आसरी दोय दण्डक, का आवे(२०-२१वांदण्डक)का, जावे एक तिर्यचपंचेन्द्रियका(२०वांदण्डक)में। भुवनपति वाणव्यंतर,ज्योतिषी और पहिले दुजे देवलोकका देवता दोय गतिसे भावे और दोय गतिमें जावे-तिथच गति और मनु. ष्य गति । दण्डक आसरी दोय दण्डक का आवे, तिर्यचपंचेन्द्रिय का और मनुष्य का और जावे पांच दण्डक में-- पृथ्वीकोय का, अपकायको, वनस्पतिकीय का, तिर्यचपंचेंद्रियकों और मनुष्यका । तीजा देवलोक से लगाकर यावत् आठवां देवलोक तक गत्यागति पहेली नरकवत् । नवमां देवलोक से लगाकर यावत् सर्वार्थसिद्ध विमान का देवता एक गति से आवे और एक गति में जावे. मनुष्य गति । दण्डक आसरी एक दण्डकसे आवे और एक दण्डकमें जावे,मनुष्यका दण्डक।

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