Book Title: Laghu Dandak Ka Thokda
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 45
________________ [२] थलचर की स्थिति ज० अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्टी तीन पल्योपम की। खेचर की स्थिति ज. अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्टी पल्योपम के असंख्यात में भाग की। उरपरिसर्प की स्थिति ज. अंतर्मुहर्तकी उत्कृष्टी एक क्रोड़ पूर्व की। भुजपरिसर्प की स्थिति ज० अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्टी एक क्रोड़ पूर्व की। २१ समोहया असमोहया मरण- सन्नी तिच प्रनेन्द्रिय दोनों प्रकार के मरण मरते हैं। - २२ चवण- सन्नी तिर्यच पंचेंद्रिय एक समय में ज०१-२-३ यावत् संख्याता उत्कृष्ट असंख्याताच्यवे। २३ गह-सन्नी तिर्यच पंचेंद्रिय गति ग्रासरी पारों गति से ग्रावे और चारों गति में जावे, और दण्डक आसरी २४ दण्डक का आवे और २४ दण्डक में जावे। ___ २४ प्राण-सन्नी तिथंच पंचेंद्रिय में प्राण पावे दसुं ही। २५ जोग- सन्नी तिथंच पंचेंद्रिय में योग पावे तीनुं ही।

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