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[५२] २४ प्राण- छयांसी जुगलिया में प्राण पावे दशों ही।
२५ जोग- छयांसी जुगलिया में योग पावे तीनों ही।
सिद्ध भगवान का अधिकार को कहते हैं१शरीर-सिद्ध भगवान में शरीर नहीं; अशरीर है।
२ अवगाहना-सिद्ध भगवान के आत्म प्रदेशों की अवगाहना ज० एक हाथ और अष्ट अंगुलकी मध्यम चार हाथ और सोलहअंगुल की उत्कृष्टी ३३३ धनुष और ३२ अंगुल की।
३संघयण - सिद्ध भगवान में संघयण नहीं, असंघयणी है।
४ संठाण-सिद्ध भगवान में छह संठाण नहीं और अनवस्थितसंठाण हैं । ५कषाय-सिद्ध भगवानमें कषाय नहीं अकषायी है।
६ संज्ञा-सिद्ध भगवान में संज्ञा नहीं, नोसनोवउत्ता हैं। ७लेश्या--सिद्ध भगवान में लेश्या नहीं, अलेशी है।