Book Title: Laghu Dandak Ka Thokda
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 47
________________ [४४] चौथे पारे उतरते ज. अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी सात हाथ की। पांचवें आरे लागते ज० अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी सात हाथ की। पांचवें आरे उतरते ज० अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी दोय हाथ की। छट्टे मारे लागते ज० अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी दोय हाथ की। छट्टै पारे उतरते ज० अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी एक हाथ की। उत्सर्पिणी काल के छहों ग्रारों की अवगाहना इनसे उलटी यथायोग्य समझ लेनी चाहिए । मनुष्य में वैक्रिय शरीर करे तो अवगाहना जघन्य अंगुलके सं०भाग उत्कृष्टी एक लाख योजन जाझेरी। ३ संघयण--सन्नी मनुष्यमें संघयण पावे छहं ही। ४ संठाण- सन्नी मनुष्य में संठाण पावे छहं ही ५ कषाय---सन्नी मनुष्य में कषाय पावे चारही तथा अकषाई। ६ संज्ञा-- सन्नी मनुष्य में संज्ञा पावे चारूं ही तथा नोसन्नोवउत्ता। ७ लेश्या-सन्नी मनुष्य में लेझ्या पावे छहं ही; तथा अलेशी।

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