Book Title: Laghu Dandak Ka Thokda
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 13
________________ [20] १ सम्यग्दृष्टि दर्शनमोहनीय कर्म का उपशम क्षय क्षयोपशम होने पर जो जीवादि तत्वों की भर उत्पन्न होती है उसे सम्यग्दृष्टि कहते हैं । २ मिध्यादृष्टि-दर्शन मोहनीयकर्म के उदय होने से जो जीवादि तत्वों की विपरीत श्रद्धा होती है, उसे मिथ्यादृष्टि कहते हैं । ३ सम्परिमदृष्टि (मिश्र) - मिश्रमोहिनीयकर्म के उदय से जो कुछ सम्यक्त्व कुछ मिथ्यात्वरूप मिश्रित परिणाम होता है, उसे सम्यग्मिथ्यात्व कहते हैं। गुड़ मिले हुए दहीं के खाने से जैसे खटमीठा मिश्ररूपत्वाद आता है वैसे ही सम्यक्त्व और मि ध्यात्व दोनोंसे मिला हुआ परिणाम होता है उसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि कहते हैं । १४ दर्शन द्वार दर्शन किस को कहते हैं ? जिस में महा सत्ता सामान्य का प्रतिभास (निराकाराझलक) हो, उसको दर्शन कहते हैं । दर्शन के प्यार भेद १ चक्षुदर्शन - नेत्रजन्य मतिज्ञान से पहिले होने वाले सामान्य प्रतिभास या अवलोकन को चक्षुदर्शन कहते हैं ।

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