Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 11
________________ एकादशांगाष्ट निमित्त विज्ञा, महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥२॥ संस्पर्शनं संश्रवणं समन्ता, दास्वादन-घ्राण विलोकनानि । संभिन्न संस्रोततया विदन्ते, महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥३॥ आमर्शविपृण मलखेल जल्ल, सर्वोषधिदृष्टि वचो विषाश्च । आशी विषा घोर पराक्रमाश्च, महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥४॥ प्रश्नप्रधानाः श्रमणा मनोवाग्-वपुर्बला वैक्रियलब्धिमन्तः। श्रीचारण व्योमविहारिणश्च महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥५॥ घृतामृत क्षीरमघुनि घर्मो-पदेश वाणीभिरभिस्रवन्तः। अक्षीण संवासमहानशाश्च महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥६॥ सुशीत-तेजोमय तप्तलेश्या, दीपं तथोग्रं च तपश्चरन्तः। विद्या प्रसिद्धा अणिमादि सिद्धा महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥७॥ अन्येऽपि ये केचन लब्धिमन्त स्ते सिद्धचक्रे गुरुमण्डलस्थाः। ॐ ह्रीँ तथा अहँ नम इत्युपेता महर्षयः सन्तु सतां शिवाय ॥८॥ इत्यादि लब्धि निधानाय श्री गौतमस्वामिने नमः स्वाहाः । गणसंपत्समृद्धाय श्री सुधर्मास्वामिने नमः स्वाहाः। Jain Education international For Private 3. Personal use only

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