Book Title: Kuvalaymala Part 03
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
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3 जं दव्वं अवलंबइ खेत्तं कालं च भाव-भवउवसम - सेणी जीवो आरोहइ होइ से हेऊ ।।
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इय दव्व-खेत्त-काला भव-भावो चेय होंति कम्मस्स । उदय-खय-उवसमाणं उदयस्स व होंति सव्वे वि ।।
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उत्ति होंति मणु मणुस्स - भावम्मि वट्टमाणस्स ।
खय
य - उवसमेहिँ तह इंदियाइँ अधवा मई - णाणं ।।
- हेऊ ।
(३७२) एवं च भगवया सव्व-तेलोक्केक्कल्ल-बंधवेण सयल-गम्मागम्मसीमंधरेण सीमंधर- सामिणा समाइट्ठे कम्म-परिणाम - विसेसे पडिवण्णं सव्वेहिं 9 मि तियसिंद-णरिंद-मुणि-गणिंदप्पमुहेहिं भणियं च । 'अहो भगवया सिट्ठाओ कम्म-पयडीओ, साहियं कम्मस्स उदयादीयं सयलं वुत्तंतं' ति । एत्थंतरम्मि 11 अवसरो त्ति काऊण तेहिं कुमारेहिं मुक्को अहं करयल- - करंगुली - पंजर - विवराओ ठिओ भगवओ तित्थयरस्स पुरओ । एत्थंतरम्मि ममं चेय अइ-कोउय-रहस13 भरमाण-णयण-मालाहिं दिट्ठो हं देव - देवि-र-णारीयणेणं, अहं च पयाहिणीकाउं भगवंतं थुणिउं पयत्तो । अवि य
'जय सव्व - जीव-बंधव - संसार - जलोह - जाण - सारिच्छ । जय जम्म-जरा-वज्जिय मरण- विमुक्का जयाहि तुमं ।। जय पुरिस-सीह जय जय तेलोक्केक्कल्ल-पत्थिय-पयाव । जय मोह-महामूरण रणग- णिज्जिय-कम्म-सत्तु-र 19 जय सिद्धिपुरी-गामिय जय-जिय-सत्थाह जयहि सव्वण्णू । जय सव्वदंसि जिणवर सरणं मह होसु सव्वत्थ ।। '
-सय ।।
21 त्ति भणंतो णिवडिओ चलणेसु, णिसण्णो य णाइदूरे । ममं च णिसण्णं दट्टूण दइए, एक्केण आबद्ध-करयलंजलिणा पुच्छिओ णरणाहेण भगवं सव्वण्णू ।
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(३७२)
1) P उदउत्ति होंइ, Pom. four lines खयउवसमेहिं etc. to होंति कम्मस्स ।।. 2) J मतीणाणं. 3) J हेतू ।. 4) J हेतू ।।. 7) J सयल for सव्व, P तेलोक्केक्क, P गंमागंमा. 8) J समाइट्ठो P इट्ठे. 9) P मुणिंदप्पमुहेहि भहेहि भणियं. 10) Pom. ति, P अत्थंतरंमि. 11) P करयंजलीपंजर. 12 ) P विओव for ठिओ, P चेव. 13) J भरमाणे, P om. देवि. 14) P पयाहिणीउं, Jom. थुणिउं. 15) P जलोहजारिच्छा 1. 16) P विमुक्त जयाह तुमं. 17 ) Pom. one जय, P पयावा ।. 18) J सया ।।. 19) P जय जसत्थाह. 20) J जिण सरणमहं, P सणं for सरणं.

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