Book Title: Kuvalaymala Part 03
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
View full book text
________________
(४११)
१९९ 1 भगवं पडिबुद्धो हं वणम्मि सोऊण पक्खिणो वयणं ।
ता देसु णियय-दिक्खं कुणसु पसायं सुदीणस्स ।।' 3 इमं च वयणं सोऊण दिक्खिओ जहा-विहिणा भगवया गोदम-गणहारिणा ___ चंडसोम-जीवो सयंभुदेवो त्ति ।। 5 (४११) एवं च भगवं भव्व-कुमुयागर-सहस्स-संबोहओ विहरमाणो मगहा ___णाम देसो, तत्थ य रयगिह णाम णयर, तत्थ संपत्तो, देव-दाणव-गणेहिं विरइयं 7 समवसरणं । तत्थ य सिरिसेणिओ णाम राया । सो य तं भगवंत सोऊण
समागयं जिणचंद हरिस-वस-वियसमाण-मुह-पंकओ सयल-जण-हलबोल9 वट्टमाण-कलयलो गतुं पयत्तो । भगवंतं वंदिऊण संपत्तो, समवसरणं पविठ्ठो ।
ति-पयाहिणीकओ भगवं जिणयंदो, पायवडणुट्ठिएण य भणियं तेण । 11 अवि य ।
'जय दुज्जय-मोह-महा-गइंद-णिद्दारणम्मि पंचमुहा । 13 जय विसम-कम्म-काणण-दहणेक्क-पयाव-जलण-समा ।।
जय कोवाणल-पसरिय-विवेय-जल-जलहरिंद-सारिच्छा । 15 जय माणुद्धर-पव्वय-मुसुमूरण-पच्चला कुलिसा ।।
__ जय माया-रुसिय-महाभुयंगि तं णाग-मणि-सारिच्छा । 17 जय लोह-महारक्खस-णिण्णासण-सिद्ध-मंत-समा ।।
जय अरई-रइ-णासण जय-णिज्जिय हास-वज्जिय जयाहि । 19 जयहि जुगुच्छा-मुक्का असोय जय जयसु तं देव ।।
जयहि ण-पुरिस ण-महिला णोभय जय वेय-वज्जिय जयाहि । 21 सम्मत्त-मिच्छ-रहिया पंच-विहण्णाण-भय-मुक्का ।।
अज्जेव अहं जाओ अज्ज य पेच्छामि अज्ज णिसुणेमि ।
2) P दिखं. 3) J भगवओ, P गोयम. 6) Jom. य. 7) P समवसवरणं, J om. तं, P भगवं. 8) J जिणयंद, P सयलसजलहरबोलबट्टमाण. 9) P पविठ्ठा. 10) P जिणचंयंदो, P om. य. 12) P विद्धारणंमि. 13) P विसय for विसम. 14) P विवियजलहरिद, J सारिच्छ. 15) P जह माणुमहपव्वय, P मुसुमूरणलिसा ।।, J कुलिस. 17) P मोह for लोह, P विण्णासण. 18) J अरतिरतीणासण, P रयणासण जयनिक्खिय, P जहाहि ।. 19) P जुगुंछा, P देवा. 20) J वेत. 21) P तित्थय for मिच्छ, J विवण्णाण. 22) J अज्जेय.

Page Navigation
1 ... 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246