Book Title: Kuvalaymala Part 03
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 200
________________ (४०९) १९७ 1 सहवास-परिहवो हो होइ च्चिय सव्व-लोगम्मि ।।' इमं च भणिया सव्वे सहरिस-दीण-कलुणा हास-रस-भरिजमाण-माणसा 3 भणिउं पयत्ता । ___ ‘एवं होउ खमेज्जसु जं तुह रुइयं करेसु तं धीर । 5 सुट्ठ वि जइ विण्णप्पसि ण कुणसि अम्हं तुमं वयणं ।।' तेण भणियं । 7 ‘कीस ण कीरइ वयणं ओसारिय-मच्छरस्स पुरिसस्स । किं तु ण दीसइ कत्थ वि एवं मोत्तूण तं वीरं ।।' 9 भणंतो समुप्पइओ तमाल-दल-सामलं गयणयलं सो विहंगमो । एत्थंतरम्मि सूरो कय-मेरु-पयाहिणो णियमियंगो । 11 वियसाविय-कमल-वणो जिणच्चणं कुणइ भत्तीए ।। ताव य करयरेंति सउणया, णिलुकति घूया, णिसियंति वग्घा, वियरंति सिंघा, 13 वियसंति कमलायरा, संकुयंति कुमुयायरा, कुसुमिय-सिय-कुसुमट्ट-हास-हसिरा वणसिरि त्ति । अवि य । 15 सिय-कुसुम-लोयणोदर-णिविट्ठ-मूयल्लिएक्क-भमरेहिं ।। गोसग्गम्मि वण-सिरी पुलएइ दिसीओ व विउद्धा ।।। 17 (४०९) तओ तं च तारिसं पंडरं पहायं दद्रूण उप्पइआ सव्वे ते पक्खिणो __तम्हाओ वड-पायवाओ त्ति । ते य उप्पइए दट्टण विम्हिय-खित्त-हियओ 19 चिंतिउं पयत्तो सयंभु-देवो । 'अहो, महंतं अच्छरीयं जं पेच्छ वणे पक्खिणो ते वि माणुस-पलाविणो फुडक्खरं मंतयंति, ते वि धम्मपरे । ता कहं आहार21 भय-मेहुण-सण्णा-मेत्त-हियय-विप्फुरंत-विण्णाणा, कहं वा एरिसी धम्म-बुद्धि त्ति । ता ण होइ एयं पयइत्थं, दिव्व-पक्खिणो त्थ एए । अहो तस्स पक्खिणो 1) J सव्वलोएसु. 2) P करुणा, J हरिजमाण, P om. माण. 4) J एअं for एवं, P रुइउं. 5) P repeats वि जइ, J जइ भण्णिप्पसि. 6) Jom. तेण भणियं. 7) P om. कीस ण, P उस्सरिय, P om. पुरिसस्स. 8) P किं तुहण. 9) P भणतो उप्पइओ, P गणयलं. 10) P पयाहिणा, J णियसंगो. 11) J करकमलो for कमलवणो, J भत्तीय. 12) P करयरंति, P घुअया, J विरंति सिंघा. 13) J संघडंति for संकुयंति. J कुसुमप्पहास. 14) P वणसिर त्ति. 15) P सेव for सिय, J लोअणोअर, J मूएल्लिअक्क. 16) J इव for व. 17) P om. पंडर, J सहायं for पहायं. 18) J चित्त for खित्त. 19) P अच्छरियं, P पक्खिवणो. 20) P om. ते वि., P धम्मं परा ते वि कहं. 21) J सण्ण, J विफुडंत, P विण्णाण्णो. 22) J एवं for एयं, P खु एवं ते for त्थ एए.

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