Book Title: Kuvalaymala Part 03
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 220
________________ (४१६) २१७ 1 कत्थइ वच्च-णिरोहे कत्थइ य अजिण्ण-दोसेण ।। कत्थइ सीएण मओ कत्थइ उण्हेण सोसिओ अहयं । 3 अरईय कत्थइ मओ कत्थइ रोहेण सोत्ताणं ।।। कत्थइ कुंभी-पाए कत्थइ करवत्त-फालिओ णिहओ। कत्थइ कडाह-डड्ढो कत्थइ कत्ती-समुक्कत्तो ।। कत्थइ जलयर-गिलिओ कत्थइ पक्खी-विलुत्त-सव्वंगो । 7 कत्थइ अवरोप्परयं कत्थ वि जंतम्मि छूढो हं ।। कत्थ वि सत्तूहिँ हओ कत्थ वि कस-घाय-जज्जरो पडिओ । साहस-बलेण कत्थ वि मच्चू विस-भक्खणेणं च ।। मणुयत्तणम्मि एवं बहुसो एक्कक्कयं मए पत्तं । 11 तिरियत्तणम्मि एण्हिं साहिजंतं णिसामेसु ।। रे जीव तुमं भणिमो कायर मा जूर मरण-कालम्मि । 13 चिंतेसु इमाइँ खणं हियएणाणंत-मरणाई ।। जइया रे पुढवि-जिओ आसि तुम खणण-खारमादीहिं । 15 अवरोप्पर-सत्थेहि य अव्वो कह मारणं पत्तो ।।। किर जिणवरेहिँ भणियं दप्पिय-पुरिसेण आहओ थेरो । 17 जा तस्स होइ वियणा पुढवि-जियाणं तहक्कते ।। रे जीय जल-जियत्ते बहुसो पीओ सि खोहिओ सुक्को । 19 अवरोप्पर-सत्थेहिं सीउण्हेहिं च सोसविओ ।। अगणि-जियत्ते बहुसो जल-धूलि-कलिंच-वरिस-णिवहेणं । 21 रे रे दुक्खं पत्तं तं भरमाणो सहसु एण्हिं ।। सीउण्ह-खलण-दुक्खे अवरोप्पर-संगमे य जं दुक्खं । 1)P वच्चनिरोहो. 2) P कत्थइ उहेण. 3) J अरतीय, P अरइय अत्थइ मओ. 5) P कत्थइ कीडेहिं डक्को कत्थइ सत्थी सत्ती समूकंतो ।. 6) P कत्थी पक्खी, J पक्खीहिं लुत्त. 7) P कत्थ वि अवरो, J जतंम्मि कूडो हं. 9) J सामसबलेण P सामबलेणं. 10) P मम्ए मत्तं ।. 11) P साहिप्पंतं. 13) P इं for इमाई, P हियइ एमाणंत. 14) J पुढइ, P खणेण खारमादीसु, J खारमातीहिं. 15) P सत्थेहिं अव्वो. 16) P जिणवरेण, P पुरिसेहि, J थोरो for थेरो. 17) P होति वियणा, P पुव्व for पुढवि, P तहा कंतो. 18) P जलजियंतो, P खाहिओ. 19) J सीतुण्हेहिं. 20) J अगणिज्जियते, P निवहेहिं. 21) P पत्तो संभर०. 22) J सीतुण्हखणण, P खखलण, P adds प्पर before संगमे.

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