Book Title: Kuvalaymala Part 03
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
View full book text
________________
(४०७ )
माणस-सरस-सरोरुह-दलेसु सुइरं पत्ता मो || किलिकिंचियं च बहुसो कय-कलयल-राव-मुइय-मणसेहिं ।
3 तं णत्थि जं ण रइयं दइए ता खमसु तं सव्वं ।।
1
इमं च सोऊ गुरु- दुक्ख - १ -भर- भार - सुढिया इव णिवडिया से मुच्छा-णीसहा
5 दइया । तं च णिवडियं दट्टूण तेण भणियं ।
'आसस मुद्धे आसस सरल-सहावा ण - याणसे किंचि । 7 किं ण सुयं ते सुंदरि संजोया विप्पओयंता ।।
आसस मुद्धे आसस विहडइ अंते सराय-घडियं पि । 9 संपुण्ण - णियय - कालं पेम्मं चक्काय - जुवलं व ॥ आसस मुद्धे आसस चडुलं संकमइ अण्णमण्णेसु । विंझगिरि - सेल - सिहरे वाणर - लीलं वहइ पेम्मं ॥ आसस मुद्धे आसस चवलं परिसक्कए सराइल्लं । णव- पाउस-जलहरर-विज्जु-विलसियं चेय हयआसस मुद्धे आसस एयं चिंतेसु ताव लोगम्मि । खर-पवणुद्धय-धयवड - चवलं छउयंगि हय-पेम्मं ॥ इय बुज्झिऊण सुंदरि मा मोहं वच्च आससु मुहुत्तं । गय-कलह-कण्ण-चंचल - चलाओं पेम्माण पयईओ ।।' त्ति ।
-पेम्मं ॥
17
इमं च भणमाणेण आसासिआ सा तेण पक्खिणी । तओ होंत - विओयाणल19 जणिय-जालावली-पिलुट्ठ-हिययुत्तत्त-णयण-भायणोयर - कढंतुव्वत्त- बाहजल-पवाहाए भणियं सगग्गयं तीए पक्खि - विलासिणीए । अवि य ।
'हा दइय णाह सामिय गुण - णिहि जियणाम णाह णाहति । एक्क - पए च्चिय मुंचसि केण वि वेयारिओ अम्हं ।
11
13
१९१
15
21
5)
2) P om. च. 3) P om. ता. 4) Jom. भर, P सुट्ठिया, P णिवडिय. J adds अवि य after भणियं. 6) P णयासे. 8) P यंते for अंते. 9) P repeats पेम्मं. 11 ) J विंझइरि, J वाणरणीअं वहय. 12) J चलं च for चवलं. 14) P एवं, J चिंतेसु आव लोअंमि, P लोगं । 15 ) P धयधयडचंचलं. 16 ) J आसस. 18) J om. तेण, J विओआलि-जलि अजालावलीविलुट्ठ. 19) P पिलुद्धहियपुत्तत्तणयभायाणढराकढंतुंबत्त. 20) P प्पवाहाए, P सगग्गरं, J तीय पक्खिविलासिणीय. 21 ) P हे for हा, P जियनाहराह त्ति 1. 22 ) P मुद्धय for मुंचसि, J केणावि, P वियारिओ.

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246