Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 13
________________ अनर्थ कौन-से पुरुषार्थ के पीछे ? इसमें जगत के जीवों की अर्थ-काम के पीछे जो मारामारी चल रही है, उसके परिणाम बता दिये । आज अनेक प्रकारके धंधे, यंत्र, धंधैकी रीत-रस्में आदि चलते हैं, यह सब अर्थ पुरुषार्थ है । यह करके मनुष्य अन्त में क्या पाता हैं ? तात्कालिक का न देखकर परिणाम देखियेगा, अनर्थ के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा । मक्खियों ने बड़ी मेहनत से शहद इकठ्ठा किया, परन्तु अन्त में क्या होगा? लुटा ही जाएगा न? कोर्ट - कचहरी, कानून-कायदे, पुलिस-जेल आदि किसके पीछे ? अर्थपुरुषार्थ की धांधलबाजी के पीछे ? या धर्मपुरुषार्थ के पीछे ? समाज में, कुटुंब में, प्रियजनों के बीच परस्पर रगडे-झगडे कौन से पुरुषार्थ पर ? अर्थ-काम या धर्म के ? खून, चोरी, बदमाशी, लूट, रिश्वत, अपने भाग के झूठे दावे, हल्के कृत्य आदि अनर्थ किसके पीछे होते हैं ? अर्थ-काम के पीछे ? या धर्म के पीछे ? काम पुरुषार्थ में भी क्या है ? दुनिया के विषय सुखों की लालसा से की जाने वाली मेहनत करनेके बाद आगे जाकर दिल खट्टे होते हैं । शरीर, इन्द्रियाँ व अंगोपांग आगे जाकर काम नहीं करते, स्नेहीजनों के स्नेह घटते हैं, इन्सान भार रुप लगता है, विषय भोगने की ताकत नहीं होती । मिठाई बहुत अच्छी होने पर भी पेट व पाचन तंत्र मना करता है। बंगला बड़ा होने पर भी परिवार के बिना खाने दौंड़ता है । अपनी संतान आदि हो या बच्चा गोद लिया हो या दामाद को लाकर अपने यहाँ रखा हो, तो भी सुख के बदले चिन्ता होती है, हृदय सुलगता है, नालायकी के दर्शन होते हैं । यह सब क्या है ? काम पुरुषार्थ की विरसता, दुःखद परिणाम । कामशास्त्र के रचयिता की मूढ़ता : चरित्रकार कहते हैं 'काम शास्त्रकार बेचारे संसार के दलाल हैं । वे पक्षपात से मूढ बने हुए हृदय से बोलते हैं कि धर्म-अर्थ-काम पूर्ण हो, तभी संसार चलता है, संसार में जीवन कहलाता है । यह सिर्फ उनकी कल्पना है | अन्त में अनर्थ, विरसता व दुःखद मौत दिलाने वाले अर्थ-काम के क्या गुण गाये जायें ? उनको Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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