Book Title: Kumarpal Pratibodh Prabandh
Author(s): Mafatlal Zaverchand Gandhi, 
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ स्वर्गसमान बनावे छे. ते बराबर जाणता होवाथी पोताना गामथी छ माईल दूर आवेल मालवाडाना रहीश गुणवान् शेठ ओखाजीना पुत्र ऊमाजीनी साथे पोतानी पुत्री नंदादेनां लग्न को. धर्मनिष्ठ व्यवहारदक्ष अने नीतिपरायण नंदादेए पोताना जीवननी सुंदर छाप श्वसुरगृहे पाडी. अने जे श्वसुरगृह स्वभावे पण धर्मिष्ठ, जिनभक्तिपरायण अने परोपकारशील हतुं ते वधु दीपवा लाग्यु. शेठ ऊमाजी पण उछरती वयमां सामायिक, प्रतिक्रमण, जिनपूजा विगेरे धर्मानुष्ठानमां रक्त होवा साथे व्यवहारदक्ष अने नीतिपरायण हता, तेमणे पोतानो धंधो शरुआतथी मुंबईमां शराफीनो को. जो के ते धंधामां शरुआतमा जोइए तेटली सफळता न मळी छतां ते निराश के बेदील न बन्या अने तेमणे ते बखते विचायु के लक्ष्मी भाग्याधीन छे. छतां पोतानो पुरुषार्थ धर्मनी मर्यादामा रही छोडवो व्याजबी नथी तेथी तेमणे ते सराफीनो धंधो बंध करीने १९४५ लगभग कापडनो धंधो मुलजीजेठा मारकीटमां शरु कर्यो. शरुआतमां ठीक कमाणी थवा लागी पण १९४९ थी १९५३ नी साल सुधी नुकशानी थवाथी धंधो तद्दन बंध थयो ने माथे केटलुक देवू पण थयुं. छतां नीराश न थतां हीमत राखी ने फरीथी थोडो थोडो धंधो कापडनो करवा लाग्या. परंतु १९६७ सुधी खर्च जेटलुजं कमाया पण १९६८ थी धर्मना पसायथी कमाणी ठीक थवा लागी ने १९७२ मां मगनलाल केसरीमलनी दुकान करी ते पछी सारं कमावा लाग्या, ने मनुभाइ मुळचंदनी दुकान १९८३ मां करी तेमां तो घणुंज सारं कमाया. परिणामे पुरुषार्थथी मानवने लक्ष्मी आपो आप मले तेम तेओनी भाग्यदशा वृद्धिंगत थवा लागी अने धीमे धीमे संपत्ति वधवा लागी. Jain E n ternational For Personal & Private Use Only Orary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 156