Book Title: Khartar Gaccha Diksha Nandi Suchi Author(s): Bhanvarlal Nahta, Vinaysagar Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 6
________________ अनुक्रमणिका भूमिका १-१६ खरतर-गच्छ दीक्षा नन्दी सूची १-२०४ प्रथम खण्ड (पूर्व इतिहास) १-३० पूर्व इतिहास (२), वर्द्धमानसूरि (४), जिनेश्वरसूरि (४), जिनदत्तसूरि (५), मणिधारी जिनचन्द्रसूरि (५), जिनपतिसूरि (६), जिनेश्वरसूरि (८), जिनप्रबोधसूरि (१३), जिनचन्द्रसूरि (१५), जिनकुशलसूरि (१८), जिनपद्मसूरि, जिनलब्धिसूरि (२०), जिनचन्द्रसूरि, जिनोदयसूरि (२१), जिनराजसूरि, जिनभद्रसूरि, जिनसमुद्रसूरि (२३), जिनचन्द्रसूरि (२४), जिनहंससूरि जिनमाणिक्यसूरि (२५), यु० जिनचन्द्रसूरि (२६), जिनसिंहसूरि, जिनराजसूरि द्वि० (२८), जिनरंगसूरि (२९), उ० रामविजय, जिनरंगसूरि (३०). द्वितीय खण्ड (वि० सं० १७०७ से) १-१६८ जिनरत्नसूरि- (सं० १७०७ से १७०८) लाभ (१), विशाल (२). जिनचन्द्रसूरि- (१७११ से १७६२), चन्द्र (२), कुशल (४), वर्धन (४), माणिक्य (५), नन्दन (६), सागर (७), प्रधान, समुद्र (८), विमल (९), सेन (१०), सौभाग्य, तिलक (११), आनन्द, सिंह, रुचि (१२), शेखर, शील, सुन्दर (१३) प्रिय, हंस (१६), कल्याण, धर्म, धीर (१७), दत्त, राज (१६), विनय (२०), कमल, कीर्ति, मूर्ति (२१), भद्र (२३), प्रभ (२४), सोम, विजय (२५), रंग (२७), उदय, हेम (२८), सार, सिन्धुर (२६), प्रमोद (३०) जिनसुखसूरि-(१७६५-१७३६) सुख, (३०), जय (३१), निधान (३२), रत्न (३३), मेरु, कुशल (३४), वल्लभ (३६), कल्लोल (३८), विशाल (३६), क्षेम (४०). जिनभक्तिसूरि-(१७७९-१८०२) भक्ति (४०), हर्ष (४१), वर्धन (४२), नन्दन, समुद्र (४३), सागर (४४), तिलक, विमल (४५), सौभाग्य; माणिक्य (४६), लाभ, विलास (४७), सेन, कलश (४८), आनन्द (४६). Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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