Book Title: Khartar Gaccha Diksha Nandi Suchi Author(s): Bhanvarlal Nahta, Vinaysagar Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 5
________________ (iv ) प्रदान की। यह तथ्य वास्तव में आश्चर्यजनक है । इसके साथ ही इस तथ्य की भी पुष्टि होती है कि दीक्षा आचार्य/गच्छनायक ही प्रदान करता था और गुरु का नाम शिष्य को अभिलाषानुसार उसके गुरु की अनुमति से रखा जाता था। संपादकों ने इस पुस्तक को तीन खंडों में विभक्त किया है। प्रारम्भ में योजनानुसार इसका केवल द्वितीय खंड ही प्रकाशित किया जा रहा था, जो कि प्रामाणिक होते हए भी आद्यन्त के बिना अपूर्ण-सा प्रतीत हो रहा था । फलतः इसकी पूर्ति के रूप में संपादकों ने प्रथम खंड में गुर्वावलियों, अभिलेखों और प्रशस्तियों के आधार से वि० सं० १७०७ से पूर्व का इतिहास लिखकर एवं तृतीय खंड में वर्तमान संविग्न पक्षीय तीनों समुदायों के साधु-साध्वियों की दीक्षा सूची संलग्न कर इसको पूर्णता प्रदान करने का यथा-साध्य प्रयत्न किया है। इस पुस्तक के सम्पादक हैं श्री भंवरलालजी नाहटा एवं महोपाध्याय विनयसागरजी । श्री भंवरलालजी नाहटा जैन साहित्य, राजस्थानी साहित्य एवं प्राचीन लिपियों के विशिष्ट विद्वान हैं और साहित्य जगत में वे सुपरिचित हैं। ८० साल के लगभग अवस्था होने पर भी साहित्य-सेवा में सक्रिय हैं। महोपाध्याय विनयसागरजी जैन साहित्य के प्रमुख विद्वान् हैं और वर्तमान में प्राकृत भारती अकादमी के निदेशक एवं भोगीलाल लहरचंद शोध संस्थान, दिल्ली के कार्यवाहक निदेशक पद पर कार्यरत हैं । अतः हम दोनों के प्रति कृतज्ञ हैं और हार्दिक आभार प्रकट करते हैं। यह लिखते हुए अत्यन्त आह्लाद हो रहा है कि इसी वर्ष श्वेताम्बर पंचायती मन्दिर, कलकत्ता का "अर्जन हेम हीरक जयन्ति" के रूप में १७५ वां वर्ष मनाया जा रहा है और इसी पावन स्मृति को अक्षुण्ण रखने हेतु यह पुस्तक संयुक्त प्रकाशन के रूप में प्रकाशित की जा रही है। देवेन्द्रराज मेहता नरेन्द्रसिंह वेद सचिव मन्त्री प्राकृत भारती अकादमी जैन श्वेताम्बर पंचायती मंदिर जयपुर कलकत्ता Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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