Book Title: Khartar Gaccha Diksha Nandi Suchi
Author(s): Bhanvarlal Nahta, Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 8
________________ (vii) जिनकीतिसूरि-(१९५६-१९६३). सौभाग्य (१४२), रुचि, सुन्दर (१४३) जिनचारित्रसूरि-(१९६७-१९६०). चारित्र, लाभ (१४४), जय, सागर (१४५), पाल (१४६). जिनविजयेन्द्रसूरि-(१९९८- ) निधि, निधान, सुन्दर (१४७),सुन्दर (१४८). जिनचन्द्रसूरि आचार्य शाखा विलास, विमल, सिन्धुर (१४६), सोम, सुन्दर, हर्ष, रत्न, शील, (१५०), सिंह (१५१). जिनकीतिसूरि-(१७६७-१८१८). कीर्ति माला, राज, वल्लभ, भक्ति (१५१), सुन्दर, समुद्र, निधान, सार (१५२), नन्दन (१५३), जिनयुक्तिसूरि-(१८२२- ). माणिक्य (१५३). जिनचन्द्रसूरि-(१८२४-१८७२). चन्द्र, मूर्ति (१५३), सागर, सौभाग्य, वर्द्धन, नन्दी, सोम, विलास (१५४), कुशल, कुमार, धीर (१५५), हंस, हीर, विमल, तिलक (१५६), रत्न, शील, राज (१५७), कलश, मन्दिर, रंग (१५८). जिनोदयसूरि-(१८७७-१८६१). उदय, शील, समुद्र, रुचि (१५६). जिनहेमसूरि-(१८९७-१९४२), हेम, सागर, धीर, तिलक, रत्न (१६०), सुन्दर, धर्म, हर्ष, सार, सागर (१६१), तिलक, शेखर, वर्द्धन (१६२), विमल, सौभाग्य, कुमार, सुन्दर (१६३), रंग, सागर (१६४). जिनसिद्धिसूरि--(१९४३-१९८४). कमल, विशाल, कल्लोल, दत्त (१६४), हंस, राज, सिंह, सार, भंडार, निधान (१६५). जिनचन्द्रसूरि- (१९८६- ). सकल (१६६). जिनसोमप्रभसूरि—(२०१०).धर (१६६). जिनरंगसूरि शाखाजिनविमलसूरि-(१७८६- जिनाक्षयसूरि-(१८१७- ) विमल (१६७). ) कुमार (१६८). Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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