Book Title: Kaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Author(s): Banarsidas Chaturvedi
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 5
________________ प्रकाशकीय बड़ौदा नरेश महाराज सयाजीराव गायकवाड़ महोदय ने बम्बई में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन के अवसर पर जो पाँच सहन रुपये साहित्य-निर्माण के लिए सम्मेलन को प्रदान किए थे उसी निधि से सम्मेलन इस "सुलभ-साहित्य-माला" के प्रकाशन का कार्य कर रहा है। इस "माला" के अन्तर्गत यह पुस्तक १८ वा पुष्प है। इसका प्रथम संस्करण १६८३ वि० में प्रकाशित हुआ था। यद्यपि प्रकाशित प्रतियाँ कुछ समय बाद ही बिक गई थी किन्तु पुनर्मुद्रण का सुयोग इतने बिलंब के बाद अब आया है। कविरत्न सत्यनारायण जी अल्पायु ही मे दिवंगत हो गए किन्तु अल्पकाल में उन्होने जो कुछ लिखा है, वह ब्रजभाषा और हिन्दी साहित्य के लिए एक अनुपम देन है। कविरल जी रससिद्ध सुकृती कवि थे, उनकी वाणी मे अतीव माधुर्य और उनके स्वभाव में विचित्र भोलापन था । उनकी कविता आधुनिक ब्रजभाषा-काव्य की सीमा-रेखा बनी हुई है। ऐसे कवि का यह चरित निःसन्देह प्रेरक होगा। मन्त्री

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