Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 574
________________ ४०८ ४०८ १७८ ३७४ १०६ ३६८ ३३४ ३८० ३५७,३८१ २०९. तव २१०. तासाम् २११. तिरश्चः २१२. तिरश्चा २१३. तिरश्ची २१४. तिसृणाम् २१५. तिसृभिः २१६. तिनः २१७. तुदती कुले २१८. तुदती स्त्री २१९. तुदन्ती कुले २२०. तुदन्ती स्त्री २२१. तुभ्यम् २२२. तुलया २२३. तुलयोः २२४. तृष्णक् २२५. तृष्णक्त्वम् २२६. तृष्णग्भ्याम् २२७. तृतीयस्यै २२८. तृतीयायै २२९. तैरश्च्यम् २३०. तैलकः परिशिष्टम् -२ ३७२ २३१. तो ९४/२३२. त्यौ २९९ २३३. त्रयाणाम् २९९ २३४. त्वत् २९९ /२३५. त्वत्कपितृकः ४०४ २३६. त्वम् ४०१/२३७. त्वयका ४०१,४०३/२३८. त्वया २६२ २३९. त्वयि २६२ २४०. त्वाम् २६२ /२४१. दण्डकतमाः २६२/२४२. दण्डकतमे ३७१/२४३. दण्डी ११३ /२४४. ददति . ११३ /२४५. ददत् ४४७/२४६. ददन्ति ४४७/२४७. दधत् ४४७ २४८. दध्नः १२५/२४९. दना १२५/२५०.दक्षिणोत्तरपूर्वाणाम् २९९ २५१. दिवम् ३३४/२५२. दृक् ३६३ १०० १०० २४५ २५९ २५८ २५९ २५८ ३०९ २२४,३०९ १०२ २५४२ ४४७

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