Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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५५०. श्रेयांसौ
५५१. श्रेयान्
५५२. षट्
५५३. षट्त्वम्
५५४. षट्सु
५५५. षड्भिः
५५६. षण्णाम्
५५७. सः
५५८. सकः
५५९. सक्थ्ना
५६०. सखा
५६१. सखायः
५६२. सखायौ
५६३. सख्या
५६४. सख्युः
५६५. सख्ये
५६६. सख्यौ
५६७. सजूः
५६८. सजूःषु
५६९. सजूर्भ्याम्
५७०. सजूस्ता
परिशिष्टम् - २
२३८ | ५७१. सप्तानाम्
२३८ | ५७२. सर्पिर्भ्याम्
१८४,४४१ ५७३. सर्वकः
४४२५७४. सर्वस्मात्
४८० | ५७५. सर्वस्मिन्
४४२ |५७६. सर्वस्मै
१८२ ५७७. सर्वस्याः
६६,४०८,४१४ ५७८. सर्वस्याम्
४१५ ५७९. सर्वस्यै
२२४५८०. सर्विका
२४९,४६९ ५८१. सर्वे
२५० | ५८२. सर्वेषाम्
२५० ५८३. साधुतट्
१८९ ५८४. साधुतत्त्वम्
१५३ ५८५. साधुतड्भ्याम्
१८९ ५८६. साधुमक्
१५१ ५८७. साधुमक्त्वम्
४५८ ५८८. साधुमग्भ्याम्
४५८ ५८९. सामनी
४५८ ५९०. सामानि
४५८ ५९१. साम्नी
५४५
२३४
४७७
३३९
८९
९०
८८
१२३
१२३
४०, १२३
३३९
९७
४०,९४
४६७
४६८
४६७
४६७
४६७
४६७
३१०
२३६
३१०

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