Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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५४३
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४६६. युष्मान् ४६७. यूनः ४६८. यूना ४६९. यूनी ४७०. यूयम् ४७१. योषिद्भ्याम् ४७२. रज्जुसृट् ४७३. रज्जुसृट्त्वम् ४७४. रज्जुसृड्भ्याम् ४७५. राः ४७६. राजत्वम् ४७७. राजनि ४७८. राजभिः ४७९. राजभ्याम्
३७०
३६५ ४८७. लज्जते
४७९ २९४ ४८८. लुवः २९४|४८९. लुवौ २९४|४९०. वत्सकः
३३४ ३७०/४९१. वधूः
१७६ ४७९ ४९२. वधूम् ४४२ ४९३. वध्वाः ४४२/४९४. वध्वै ४६, १२६ ४४२ | ४९५. वयम् ३८६/४९६. वस्त्रान्तरवसनान्तराः १०७ ४७०/४९७. वाक् १३३,४४६,४८३
३१०४९८. वाक्कल्पः ४६९,४७४|४९९. वाक्त्वम् ४६९,४७४ ५००. वाग्
४८३ ४६९,४७४ | ५०१. वाग्भ्याम् २३६ ५०२. वारिणी
२२२ २३६ /५०३. वारिणे
२२२ ३०९/५०४. विदुषः ५१,२७६,२९२ ३०९/५०५. विदुषा २७६,२८२ ३१०/५०६. विदुषी २७६,२९२ ३८६/५०७. विद्वान्
४६४,४७४
४४७
४४७
४८०. राजसु
४४७
४८१. राजा
४८२. राजानौ
४८३. राज्ञः
४८४. राज्ञा
४८५. राज्ञि
४८६. राभ्याम्

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