Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 593
________________ कातन्त्रव्याकरणम् ३४६ २२३ ३०५ ४४३ २५१ २५१ २५१ २५१ १६३ ३०१ ० ३७. उपधा ३८. उपविश्वम् ३९. उपसंव्यानम् ४०. उपानत् ४१. उपान्त्यः ४२. ऋत्विक् ४३. एकैकशः ४४. कीलालपः ४५. क्रोष्ट्रिभक्तिः ४६. गर्धप ४७. गार्गीमातृकः ४८. गोधुक् ४९. ग्रामणीः ५०. चातुरिकः ५१. चातुर्यम् ५२. ज्ञानभुत् ५३. ज्ञानभुत्त्वम् ५४. तान्तवः ५५. तिरश्चः ५६. तुण्डिप् ५७. तूष्णीकः ५८. तौम्वुरवम् ४८ ५९. त्वदयति ८८/६०. दधि ६१. दह्नः ४३५ | ६२. दादेः ४८ ६३. दिव्यम् ४४०६४. घुगतः १४ |६५. धुत्वम् ३११ |६६. घुयज्ञः ६७. द्विपादिकम् ४४९ ६८. द्विशः १७० | ६९. द्वीपः ४४३ |७०. धानाभृट् १८४,१८५ ७१. धुट्स्वरम् २७९ | ७२. नदीसंज्ञकेकारान्तम् २७९ ७३. नरपतिः |७४. नरिका ४५० ७५. नोपधा ३३६ ७६. पतिः २९९ ७७. पथिकः |७८. पद्माक्षेण ३२९ ७९. परमधर्ट्स २१९ । ८०. परिभाषा ४३९ २१६ १३१ १९० ३३७ २३७ ० ४५०। १९० ० २७४ २२३ ४५० ३५,३७

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