Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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परिशिष्टम्-५
३४४
३८०
प्रतिपत्तिगौरवं भवतीति संक्षेपः २६७ प्रत्युदाहरणलाघवम् प्रतिपत्तिगौरव
प्रत्येकशक्तिकल्पनम् निरासार्थम् ३६, ९९, ४०५ प्रथमकक्षा प्रतिपत्तिगौरवम् ९५, १०८, प्रदीपः
१११, २९० प्रपाचकः
प्रमेयम्
१५१
प्रतिपत्तिरियं गरीयसी ४६,१०३, प्रमाणम् १४, १६, ३३३ १४६,१५५, ३२२, ३२३,४१५,४८६ प्रतिपदोक्तम् १७५, ४३९
प्रयोजनम १, २, ५, १६, २२ प्रतिपदोक्तिर्गरीयसी १०९
प्रयोजनान्तरम् प्रतिभा
प्रयोजनाभिप्रायकः प्रतिषेधः
प्रवृत्तिनिमित्तं जात्यादि प्रतीतिः
प्रवृत्तिनिमित्तत्वम् प्रतीयमानम्
प्रवृत्तिनिमित्तम् प्रत्ययलोपलक्षणन्यायः ३५५
प्रवृत्तिनिमित्तस्वरूपः प्रत्ययलोपलक्षणम् ११४, २०३,
प्रशंसा २४०, ३०६, ३५८, ४११, ४१५, ४३४, ४८६, ४८७
प्रसङ्गः प्रत्ययविकारागमस्थः ४० प्रसिद्धमुपमानम् प्रत्यासत्तिः
२२७ प्रसिद्धम् प्रत्युदाहरणम्
५२ प्रातिपदिकान्तम्
१९९, २००

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