Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 594
________________ ३२१ ३४६ ४४० ४६६ २९३ ३५० ४४८ परिशिष्टम् -४ ४३९ १०३. भ्रूः ३३५ १०४. मदयति २४५ /१०५. मधुलिट् ४७२ १०६. मांसपिपक् २३ १०७. माघवनः २३ | १०८. मात्रिकम् २३ १०९. मालान्ती २७७ | ११०. मित्रध्रुक् २० १११. युङ् ४४६ | ११२. यौवतम् ३३२,४३४|११३. रक्तविकारः ६९ ११४. राजन्वान् २० ११५. राजपथः ८१ ११६. रूपम् २८४ | ११७. लिङ्गम् ४०० | ११८. वासः ४०० /११९. विधिः ४०० | १२०. विभक्तयः २२३ /१२१. वृन्दारिका २३,३३६ /१२२. विरामः २२६ /१२३. वृक्षावौ २२५,२२७ / १२४. वैदुषम् ८१. परिव्राट ८२ पुत्रकाम्या ८३. पुरुदंशा ८४. पूर्वविधिः ८५. पूर्वाह्नेतनः ८६. पूर्वाह्नेतमाम् ८७. पूर्वाह्नेतराम् ८८. पौंस्नम् ८९. प्रतिपदम् ९०. प्रत्यङ् ९१. प्रत्ययः ९२. प्रसङ्गः ९३. प्रातिपदिकम् ९४. प्रावरणीयम् ९५. प्रियचत्वाः ९६. प्रियतिसा . ९७. प्रियतिस्रः ९८. प्रियतिखौ ९९. प्रियसक्थेन १००. बहुचर्मिका शाला १०१. भाषितपुंस्कः १०२. भाषितपुंस्कम् ३०७ ४६८ २६८ L ६, २० १०६ ३०५,३०६,४७२ ३३६ ४३३ ३१३ २७६

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