Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 572
________________ पक्ष २१० १८४ ४१० १६७ १६७ २३० २३३ २३० ३१२. ३१२ परिशिष्टम् -२ १२२. एतं व्याकरणमध्यापय अथो एनं | १४१. कतरत् वेदमध्यापय ४२२|१४२. कति १२३. एतयोः शोभनं शीलम् अथो १४३. कदा एनयोश्च प्रभूतं स्वम् ४२२ |१४४. कर्तारः १२४. एतेन रात्रिरधीता अथो एनेनाहरप्य १४५. कर्तारी धीतम् १४६. कर्तृणा कुलेन १२५. एनम् |१४७. कर्तृणाम् १२६. एनयोः १४८. क; कुलेन १२७. एनेन १४९. कीलालपः १२८. एभिः १५०. कीलालपा १२९. एषु |१५१. कुण्डम् १३०. एहकि ३३४ | १५२. कुण्डे १३१. ऋभुक्षः २७३ १५३. कुम्भपदी १३२. ऋभुक्षा २७३ | १५४. कौ १३३. ऋभुक्षाः २७० १५५. गच्छति १३४. ऋभुक्षाणौ |१५६. गर्धप् १३५. औदीच्यम् १५७. गर्धप्त्वम् १५८. गर्धब्भ्याम् १३६. कः १५९. गाः १३७. कटचिकीः १६०. गाम् १३८. कतमत् १६१. गावः १३९. कतरकतमाः ९९ १६२. गावौ १४०. कतरकतमे ९९।१६३. गीः २०८ २१२ ३०४ ४१० ४८१. ४५५ ४५५ ४५५ २६८ २६८ २६६ २६६ ४६०, ४८५

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