________________
१०४
१.८
जयधवलाका रचनाकाल
७२1 निक्षेपोंके लक्षण वीरसेन और जिनसेनका कार्यकाल ७५-७७ निक्षेप-नययोजना ३ विषयपरिचय
७७-११२ ११२ । ७ नयनिरूपण
१०६-११२ १ कर्म और कषाय
७७-८० वस्तुका स्वरूप
१०६-१०७ [विभिन्नदर्शनोंमें कर्मका स्वरूप तथा उसका
पदार्थकी सामान्यविशेषात्मकता आधार, दोषोंकी तीन जाति]
धर्ममिभावका प्रकार
१०८ कषायोंका रागद्वेषमें विभाजन
नयोंका आधार
१०९
नयोंके भेद २ कसायपाहुडका संक्षिप्त परिचय ८०-८५
१११ ३ मङ्गलवाद
८५-८
संकेत विवरण ११३-११८ [विभिन्न दार्शनिक परम्परामोंमें मंगल मूलग्रन्थकी विषयसूची ११६-१२५ करनेका हेतु तथा प्रयोजन, जैनपरंपरामें
शुद्धिपत्र
१२६ मंगलकरनेकी परम्पराएँ, गौतमस्वामी
मूलग्रन्थ (पेज्जदोसविहत्ती) १-४०८ और प्राचार्य गुणधरका अभिप्राय ] ४ ज्ञानका स्वरूप
80-१७
परिशिष्ट [विभिन्नदर्शनोंके ज्ञानविषयक मन्तव्य
१ पेज्जदोसविहत्तिगयगाहा-चुण्णिसुत्ताणि ३-७ श्रुतज्ञान
२ कषायप्राभूतगाथानुक्रम केवलज्ञान
३ अवतरणसूची ५ कवलाहारवाद
१७-१००
४ ऐतिहासिक नामसूची [आहारके भेद, दोनों परम्परामोंके कव
५ भौगोलिकनामसूची लाहारविषयक विचार]
६ ग्रन्थनामोल्लेख ६ नयनिक्षेपादि विचार १००-१०५
७ गाथाचूर्णिगत शब्दसूची [नयनिक्षेपादि चरचाका मूलाधार]
८ जयधवलागत विशेषशब्दसूची १३-१६ निक्षेपका मुद्दा
१०० ९ स० प्रतिके कुछ अन्य पाठान्तर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org